Hateshwari Mata Tample Kharshali H.P. ( हाटेश्वरी माता मूल मन्दिर खरशाली)
हाटकोटी में हमें मन्दिर के पुजारी ने बताया कि हाटेश्वरी माता का मूल स्थान खरशाली में है l जो संदासू से आगे, ऊपर पहाड़ों में देवदार के घने जंगल के मध्य में है l पहले वहाँ पैदल ही जाया जा जाता था l मगर अब सड़क बन चुकी है l यह वही मन्दिर है जिसे पाण्डवों ने बनाया था l कहा जाता है कि बहुत पहले वहाँ गौ हत्या जैसा कुछ हुआ था, और माँ हाटेश्वरी एक बड़े टोकने (खाना बनाने का बंद गले का पीतल का बड़ा बर्तन) में वहाँ से प्रस्थान कर गई l जब कुछ जानकारों को इसकी खबर लगी, तो उन्होंने इसे पब्बर नदी के किनारे sawra kuddu नामक जगह पर देखा, और उस बर्तन को नदी से बाहर निकल कर माता की स्थापना इसी स्थान पर कर दी l “ऐसा मैंने वहाँ लोगो से सुना है” उस टोकन को आज भी मन्दिर के बाहर जंजीरों में जकड़े हुए देखा जा सकता है l हाटकोटी के लिए यहाँ क्लिक करें
ये सुन कर अब पक्का था कि यहाँ जाना ही है l शायद इस के बाद जिन्दगी में ऐसा मौका दोबारा न मिले, और वो भी पुरे परिवार के साथ l यहाँ पहुँच कर अहसास हुआ कि अगर यहाँ न आये होते तो, एक बहुत ही खुबसूरत untuch beauty से ताउम्र वंचित रह जाते l
यह स्थान shimla से रोहडू , चढ़गाँव, संदासू होते हुए लगभग 132 km दूर है l और यहाँ जाने के लिए डोडरा-क्वार वाली सड़क पर जाना पड़ता है l इसी सड़क पर आगे जाकर चान्शल पीक भी आता है l संदासू से 3 km आगे एक जगह है खाबल, वहीँ से एक सड़क खोपटूवाडी की ओर जाती है l खाबल से लगभग 5 km आगे जब गाँव की सीमा समाप्त होती है, तो देवदार का एक घना जंगल शुरू होता है l यहीं पर एक झील है, और उसी के किनारे स्थित है माँ हाटेश्वरी का मूल स्थान l इस जगह का नाम खरशाली है l इस जगह को untuch ब्यूटी भी कह सकते हैं l बाहरी लोगों की आमद यहाँ तक बहुत कम है l स्थानीय लोग भी यहाँ कभी-कभार ही खास मौकों पर आते है l झील में सरकंडे जैसा घास उगा हुआ है, जिस कारण इसकी गहराई का अंदाजा नहीं हो सकता l यह स्थान बिल्कुल साफ़ सुथरा है, कहीं किसी प्रकार की कोई गन्दगी नहीं है.
स्कूल और उसके बच्चे
यहाँ के सौन्दर्य को देख कर छोटे राजकुंवर मंत्रमुग्ध, और मैं गेट पर खड़े हो कर अचम्भित हूँ
ये कहाँ आ गये हम
मन्दिर से दिखता झील का नजारा
लकड़ी के खम्बे पर नकाशी
लकड़ी की घन्टी दिखाते यशदीप
जैसे ही हम यहाँ पहुंचे, स्कूल के कुछ बच्चे छुट्टी कर के घर जाते हुए मिले l वह हमे बड़े आश्चर्य से देख रहे थे l हमने उनके साथ कुछ फोटो ली l बचों से बात करनी चाही तो वह हाँ-हूँ से ज्यादा आगे नहीं बढ़े, शायद अजनबी समझ कर शरमा रहे थे l इस जंगल को पार कर कुछ आबादी और है, जहाँ इन छात्रो को जाना था l
बस यही कुछ बच्चे मिले उसके सिवा हमें यहाँ कोई भी न दिखाई दिया l यधपि हम खुद पहाड़ों में रहते हैं, फिर भी यहाँ रोमांच के साथ-2 कुछ भय का भी पुट मन में उठ रहा था l शायद ही कोई बाहर का आदमी यहाँ अकेले में कुछ वक़्त गुजर सके l सड़क के साथ ही एक लोहे का गेट बना हुआ है l गेट के बाँई ओर देवदार के एक वृक्ष पर बहुत सी उपयोग की जाने वाली वस्तुएं टंगी हुई है, जो आपको आगे चित्र में दिखाई देगी l
मन्दिर के कुछ दृश्य
अगर समझ आ जाए तो मुझे भी बता देना क्या सन्देश लिखा है
गेट से कोई 200 फुट की दुरी पर मन्दिर और उसके अवशेष नजर आ रहे थे l दांई ओर झील है, इस जगह को देख कर मन अति रोमांचित हो रहा था l इतनी शान्त जगह है कि कई बार हम खुद की ही आवाज पर चौंक जाते थे l इस मन्दिर के निर्माण में 100% देवदार की लकड़ी का उपयोग हुआ है, मन्दिर में लगी हुई घन्टी तक लकड़ी की है l मन्दिर के साथ ही एक विश्राम स्थल बना हुआ है l यहाँ कुछ पीले रंग के झंडे भी लहरा रहे थे, जिस पर कुछ चित्र और एक अनजान भाषा में कुछ लिखा हुआ था l इस विषय में किसी से पता भी नहीं कर सकते थे, क्योंकि एक घंटा, जब तक हम यहाँ रुके कोई भी इनसान नहीं दिखा l अब 3.30 बज चुके थे, और हमें आज ही खड़ापत्थर वापिस पहुंचना था l जो सड़क की हालत के हिसाब से अभी काफी दूर था l सड़क का अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि स्कार्पियो जैसी गाड़ी को भी कई बार सड़क चूम लेती थी l एक टायर भी फट गया था l वापिस घर आ कर गाड़ी को सुधारने में 25,000 रू खर्च करने पड़े l कुछ चित्र यादगार के रूप में सहेजे और माँ को आखिरी प्रणाम कर अपनी रह पकड़ ली l
untuch beauty more picture
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