Tatapani : Shimla H.P.
ततापानी, shimla से करसोग जाते हुए मंडी व् शिमला जिला को विभाजित करती हुई, सतलुज नदी के किनारे मंडी क्षेत्र में स्थित है. यहाँ गर्म पानी के प्राकृतिक स्रोत मौजूद हैं. यह स्थान shimla से वाया नालदेहरा होकर 52 km और वाया धामी 68 km. करसोग से आने पर भी इसकी दुरी 52 km. है. समुद्र तल से 2150 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. जबकि shimla 7240 फुट पर बसा है अब 52 km. में 5090 फुट उतरना पड़ता है. यहाँ जाने के लिए एक मात्र रास्ता सड़क ही है.मैं पहले भी तीन बार यहाँ जा चूका हूँ. और जब भी जाना हुआ हम परिवार सहित ही थे इस दफा हमने धामी वाला रास्ता चुना. मगर बसंतपुर न जाकर हमने धमान्दरी से बाँई तरफ जाने वाला शार्टकट रास्ता चुना जो दाढ़गी व् मंधोढ़घाट होते हुए ततापानी पहुँचता है. सड़क काफी अच्छी है बिल्कुल जलेबी की तरह. हम लोग 6 बजे कसौली से निकले और 10 बजे ततापानी पहुँच गये. मगर इस बार यहाँ का नजारा बिल्कुल भिन्न था. गर्म पानी के वो प्राकृतिक स्रोत जो सतलुज के किनारे थे, वह बांध बनने के कारण सतलुज के पानी में आलोप हो चुके थे. नदी के वो चौड़े तट अब गायब थे. सब कुछ पानी में डूबा हुआ था. पुरे के पुरे पेड़ पानी में डूब चुके थे, कुछ की सिर्फ चोटी ही नजर आ रही थी.
ततापानी का स्थानीय महत्व वही है, जो आम लोगों के लिए हरिद्वार का है. जब संसाधन नहीं थे तो आस-पास के लोग वह सारी क्रियाएँ यहाँ निभाते थे, जो हरिद्वार में की जाती है. हर सक्रांति, पूर्णिमा, अमावस्या और खास तौर पर मकर सक्रांति को यहाँ लाखों की संख्या में लोग स्नान करने के लिए आते है. मगर अब नदी के वो लम्बे-चौड़े तट पानी की भेंट चढ़ चुके है, जहाँ इतनी भीड़ समाती थी. यही नहीं यहाँ से तीन km. दूर एक शिव गुफा थी, वह भी पानी में डूब चुकी है. अब यहाँ गर्म पानी का स्रोत सड़क के किनारे है, जहाँ लोग नहा धो कर पूजा पाठ इत्यादि करते हैं. यहाँ तुलादान का भी विशेष महत्व है, और हजारों लोग तुलादान करवाने यहाँ आते है. अब सतलुज का वह तेज बहाव देखने को नहीं मिलता, जो कई लोगों जी जान का दुश्मन भी बन चूका है. ऐसा ही एक हादसा 2009 में हमारे सामने हुआ था, जब दो छोटे बच्चे जो भाई-बहन थे, यहाँ इस दरिया में बह गये थे, और उनके माँ बाप की तरह हम भी चिल्लाने के अलावा कुछ नहीं कर सके थे. मगर अब दरिया शान्त है और बांध का रूप ले चूका है.
खैर नव सृजन के लिए कुछ पुरानी परम्पराएँ अक्सर दफ़न हो जाती है. हमने भी नल से आते सल्फर युक्त पानी में हाथ मुह धोकर, सामने के खत्री ढाबे में नाश्ता किया और महुनाग मन्दिर जाने के लिए निकल पड़े. इस बार हम सोच कर गये थे कि शिव गुफा के भी दर्शन करेंगे, जो पहली यात्राओं में नहीं कर सके थे. मगर ये हमारी किस्मत में ही नहीं था “है”. क्योंकि ढाबे वाले ने बताया कि शिव गुफा अब पानी में समा गई है.जहाँ 181 पिण्डिया है जो प्राकृतिक तौर गुफा में स्थापित है, यही इस गुफा का रहस्य है. शिव गुफा का एक बड़ा बोर्ड अब भी सड़क किनारे लगा है उसे ही प्रणाम किया और भोले नाथ को याद कर के आगे निकल गए.
केथलीघाट (शिमला) में हनुमान मन्दिर
धामी और धमान्दरी के पास बना एक सुंदर मन्दिर
Alfa कम्पनी के बोर्ड के पास एक झाडी पर बना मक्कड़ जाल
धुप की सीधी किरणों से शर्माता मेरा परिवार
ततापानी के दो चित्र
2009 का चित्र
ततापानी अब 2015 में
ये पुल 2004 में यातायात के लिए बन कर तैयार हुआ इससे पहले यहाँ लकड़ी का पुल था जो जलने के कारण नष्ट हो गया था
सल्फर युक्त गर्म पानी का स्रोत, अब यहाँ ही नहा सकते है , मधु जी के पीछे महिलाओं को नहाने के लिए स्नानघर बने है
छोटे राज कुंवर गर्म पानी से अठखेलियाँ करते हुए
नल का लोकल जुगाड़
जय भोलेनाथ ,इनका आवास अब बांध के अन्दर समा चूका है
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