karsog velly करसोग घाटी
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहते है. यहाँ के ऊँचे-2 पहाड़ गहरी घाटियाँ हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है. हिमाचल प्रदेश को व्यास, पाराशर, व्शाशिष्ठ, मार्कण्डेय और लोमश आदि ऋषियों का निवास स्थान होने का गौरव प्राप्त है. यहां गर्म पानी के स्रोत, ऐतिहासिक दुर्ग, प्राचीन मंदिर, रहस्यमय गुफाएं, प्राकृतिक और मानव निर्मित झीलें, उन्मुक्त विचरते चरवाहे और पर्यटकों के लिए असीम सुख और आनंद का स्रोत हैं. लगभग पूरा प्रदेश हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी का भाग है.
ऐसी ही एक सुंदर घाटी है करसोग. जिसे धान का कटोरा भी कहा जाता है. करसोग, शिमला से 104 km तथा मंडी से 115 km की दुरी पर, पीर पंजाल की पहाड़ियों, में समुद्र तल 4000 फुट के लगभग स्थित है. यहाँ का रीती-रिवाज, लोक-संस्कृति व् पौराणिक मंदिर बहुत ही अनूठे है. जैसे कि शिव गुफा ‘सरौर’, बड़ेयोगी देव मन्दिर ‘बगशाड’, मूल महुनाग मंदिर ‘बखारी’, चिंडी माता मन्दिर ‘चिंडी’, महामाया मंदिर ‘पांगना’, ममलेश्वर महादेव मंदिर, कामाक्षा देवी मंदिर, मगरू महादेव मंदिर ‘मगरुनाला’ और शिकारी देवी मंदिर आदि करसोग घाटी के कुछ प्रमुख मंदिर है. इसके अलावा भी सैंकड़ो बड़े-छोटे मंदिर पूरी घाटी में नज़र आ ही जाते हैं. महाभारत काल-खंड के दौरान पाण्ड्वो ने यहाँ काफी समय बिताया और यहीं से हो कर वह गन्धमादन पर्वत तक गए, जहाँ भीम की मुलाकात बूढ़े हनुमान से हुई और भीम की शक्ति का घमण्ड चूर-2 हुआ.
24 जून 2015 शाम के 4 बजे हम लोग पांगना से चिंडी होते हुए करसोग पहुँच गए. पांगना में भारी बारिश के बाद अब तक हलकी-2 बूंदा-बांदी हो ही रही थी. पहले तो करसोग का बाज़ार काफी खुला-खुला लग रहा था, मगर जैसे-2 आगे बढ़ते गये वैसे-2 सड़क तंग होती गई और मकानों की मंजिले बढती गई. बस अड्डे के बाद तो सड़क, गली में तबदील हो गई बड़ी मुश्किल से हॉस्पिटल का रास्ता मिला, सड़क इतनी तंग है, कि कोई सोच ही नहीं सकता कि यह हॉस्पिटल का रास्ता है. हॉस्पिटल जाने की जरुरत इस लिए पड़ी कि मेरे एक फेसबुक मित्र डा.राकेश प्रताप जो यहाँ BMO के पद पर तैनात है, उनसे मिलना थाI वहां जा कर पता चला कि वह तो दौरे पर हैं, शाम तक ही वापिस होंगे. गाड़ी वापिस मेन रोड की तरफ घुमाई और आगे की तरफ बढ़ गए. सामने एक होटल जैसी जगह ( होटल पर कोई बोर्ड नहीं लगा था) देख कर गाड़ी रोकी, व रात को ठहरने के लिए पता किया. 600 रु के हिसाब से दो कमरे लेकर सामान रखा ही था, कि डा. साहब का फोन आ गया, मैंने उन्हें बताया कि आज रात हम आपके शहर में है. करसोग घाटी घुमने के इरादे से आये हैं. उन्होंने बताया कि वह भी उसी तरफ आ रहे हैं, उनके कुछ रिश्तेदार भी करसोग घुमने आये हैं, वह सभी लोग कामाक्षा देवी और ममलेश्वर महादेव के दर्शनों को जा रहे हैं. उन्होंने हमें भी तैयार रहने को कहा. हम तो सुबह से ही घुमने के मूड में थे, तो जाहिर है तैयार ही थे. बारिश के कारण गाडी द्वारा ही घूमना हुआ. शाम 7.30 बजे तक हम घूम-फिर कर होटल आ गयेI अगले दिन का प्रोग्राम शिकारी देवी जाने का था. थोडा मलाल रह गया, लगातार हो रही बारिश की वजह से हम ज्यादा नही घूम सके और चित्र भी बढ़िया नहीं आए.
करसोग घाटी के कुछ चित्र
(मौसम खराब होने के कारण ज्यादा अच्छे नहीं है)
COMMENTS