“मण्डी” हिमाचल प्रदेश का एक बहुत ही खुबसूरत जिला है, जहाँ एक ओर प्राकृतिक और मानव निर्मित झीले है, वहीँ दूसरी ओर बहुत से धार्मिक स्थल व् मंदिर इसकी पहचान है l जिला का मुख्यालय मंडी शहर है l मंडी जाने के लिए दो रास्ते है एक शिमला से 198 km. और दूसरा चंडीगढ़ से 200 km. l मण्डी शहर व्यास दरिया के किनारे, समुद्र तल से लगभग 3425 फुट पर स्थित है l जनश्रुति के अनुसार मण्डी का नाम मह्रिषी मनु के नाम पर पड़ा है l कुछ लोगों का मत है कि यह नाम ऋषि माण्डव के नाम से उभर कर आया है l व्याास नदी के किनारे बसा हिमाचल प्रदेश का ऐतिहासिक नगर मंडी, लंबे समय से व्य वसायिक गतिविधियों का केन्द्रन रहा है l अगर व्यापारिक महत्व के लिहाज़ से देखा जाए तो ‘मण्डी’ शब्द शायद इस लिए भी उपुयक्त था, कि यह राज्य का मध्य केंद्र होने के साथ-2 तिब्बत से भी व्यापार द्वारा जुड़ा था l पर्यटन स्थल के रूप में भी मण्डी का महत्वपूर्ण स्थान है l बरोट, रिवालसर, पराशर झील, हणोगी माता, शिकारी देवी, कमरुनाग, जंजैहली, ततापनी करसोग और पांगना इत्यादि बहुत सारे पर्यटन व् धार्मिक स्थान लोगों को हमेशा ही आकर्षित करते आये हैं l मण्डी को अक्सर पहाड़ों की वाराणसी या छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है l क्योंकि काशी में मंदिरों की संख्या 80 है, जबकि मण्डी में 81 मंदिरों का इतिहास बताया जाता है l मण्डी शहर की स्थापना राजा अजबेर सेन द्वारा सन 1526 ईस्वी में की गयी थी l उसके बाद धीरे-2 आबादी का घनत्व बढ़ता गया, और उसी हिसाब से निर्माण भी होता रहा l आज के दिन शहर के अन्दर प्रवेश करना आसान काम नहीं है l
मंडियाली धाम के नाम से मण्डी का खाना बहुत मशहूर है l चावल के साथ भिन्न-2 प्रकार की अलग-2 स्वाद वाली 8-10 प्रकार की दाल, एक अलग ही आनन्द देती l यहाँ का कोई भी त्यौहार व् उत्सव मंडियाली धाम के बिना अधुरा है l मण्डी में धान की फसल मुख्य है l एक और चीज है जो यहाँ पाई जाती है और वो है सेंधा नमक, (Rock Salt) यह नमक पहाड़ों में खनन करके खानों से निकला जाता है l
मंडियाली धाम के नाम से मण्डी का खाना बहुत मशहूर है l चावल के साथ भिन्न-2 प्रकार की अलग-2 स्वाद वाली 8-10 प्रकार की दाल, एक अलग ही आनन्द देती l यहाँ का कोई भी त्यौहार व् उत्सव मंडियाली धाम के बिना अधुरा है l मण्डी में धान की फसल मुख्य है l एक और चीज है जो यहाँ पाई जाती है और वो है सेंधा नमक, (Rock Salt) यह नमक पहाड़ों में खनन करके खानों से निकला जाता है l
P.K.Bagaa जी के साथ पहली मुलाकात
26 जून 2015 दिन शुक्रवार को हमारा घुमने का कर्यक्रम पराशर झील का था l और रात को रुकने का इरादा भी पराशर में ही था l मगर वहां कोई भी होटल नहीं था l बस एक मात्र PWD का रेस्ट हाउस ही है, वो पहले ही बुक हो चूका था l चूँकि मन्दिर प्रशासन की और से वहां ठहरने के लिए कुछ सराय भवन है जहाँ हमारा मन रुकने का नहीं बना l तब हमने तय किया कि वापिस मण्डी चलते हैं, वहीँ रुकेंगे l मगर मुझे शहर की वस्तुस्थिति के बारे में अधिक ज्ञान नहीं था, तो अपने फेसबुक मित्र श्री P K Bagga जी को फोन लगाया, कि भाई अपने शहर में कही अच्छी जगह ठहरने का इंतजाम करें l बग्गा साहब ने कहा चिंता न करें आप मंडी पहुँचो इन्तजाम हो जायेगा l हम लोग जटीन्ग्री के आस-पास थे, जब बग्गा जी का फोन आया, sir शहर में इस वक़्त कमरा मिलना थोडा मुश्किल काम होगा, आप ऐसा करें कि शहर से बाहर 2 km. आगे Bijni नामक जगह पर एक होटल है “park View” आप लोग वहाँ चले जाएँ कमरे मिल जायेंगे l रात के लगभग 9.00 बजे हम Hotel Park View पहंचे तो पार्किंग देख कर लगा शायद यहाँ भी जगह न मिले l रिसेप्शन पर जा कर मालूम हुआ कि यहाँ पर तीन पार्टियों का आयोजन चल रहा है l जिस वजह से इतनी भीड़ है l हमने एक सुइट बुक किया और गाड़ी से सामान निकाल लिया l अब समस्या थी गाड़ी पार्किंग की, उसका हल यह निकला कि 11 बजे तक पार्टी खत्म हो जाएगी, चाबी काउन्टर पर छोड़ दें, होटल का ड्राइवर गाड़ी को पार्क कर देगा l हम काफी थक चुके थे, सो रूम सर्विस का ही सहारा लिया घर पर माता जी को फोन करके कुशलक्षेम की जानकारी ली और लम्बलेट l
सुबह थोडा आराम से उठे मतलब 7.30 बजे l बाथरूम में देखा तो पानी नदारद l काउन्टर पर फोन किया तो जवाब मिला 15 मिनट में पानी आ जायेगा l मगर एक घंटा हो गया पानी नहीं आया l बार-2 फोन करने पर भी जब 9.00 बजे कुछ नहीं हुआ, तो दिमाग घूम गया और रिसेप्शन पर जा कर सबकी माँ-बहन एक कर डाली l तब एक बहाना बताया गया कि कोई आदमी बाथरूम का नल खुला छोड़ कर चला गया है l जिस वजह से टंकी भर नहीं रही है l एक-2 कमरा चैक करने में समय लगा, तब जा कर पानी आया l इस प्रकार 10.30 बज गए मूड खराब हो गया था, सो हमने नाश्ता भी नहीं किया l होटल का बिल अदा किया और गाड़ी के पास पहुंचे तो एक बार और दिमाग खराब, गाड़ी का शीशा खुला और गाड़ी भी अनलॉक l होटल स्टाफ को तलब किया तो सब की हालत खराब l
मैंने ज्यादा दिमाग खराब न करते हुए गाड़ी स्टार्ट की, और चल दिए बरोट की राह पर l दिन में हम बरोट घूम कर जब शाम को वापिस मण्डी पहुंचे तो, यहाँ फिर जाम लगा हुआ था l एक घंटा जाम में फंसने के बाद हम शहर में दाखिल हुए, इधर बग्गा साहब बार-2 पूछ रहे थे, भाई साहब कहाँ पहुंचे l लगभग छ बजे हम बग्गा साहब से मिले l यह मिलन सड़क पर ही हुआ, क्योंकि हमारा मन मण्डी शहर में रुकने का नहीं था l जबकि मित्र बग्गा जी ने काफी आग्रह किया कि घर चलते है, चाय-पानी कर के जाइए l इस छोटी सी मुलाकात को अलविदा कह कर, हमने मण्डी रुकने की बजाय रिवालसर जाना बेहतर समझा l बस यही था हमारा मण्डी शहर का अनुभव l वैसे यहाँ की इंदिरा मार्किट के बारे में बहुत सुना था, और वहाँ जाने की इच्छा भी थी l हम मंडियाली धाम का स्वाद भी लेना चाहते थे , मगर इतनी भीड़ देख कर इरादा ही बदल दिया l
जय देवी गॉंव से मंडी की सुंदर घाटी
prince और madhu जी : सुंदरनगर
गुरुद्वारा :सुंदरनगर
हाइवे से लिए गये मंडी शहर कुछ चित्र
मंडी से 5 km. रिवाल्सर road पर एक आश्रम
सड़क के साथ-2 नहर : सुंदरनगर
ACC Cement plant बरमाणा
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