Prashar Lake; mandi h p (पराशर झील; मण्डी हि प्र)
“प्राकृतिक सौन्दर्य का पर्याय पराशर झील” हिमाचल का ही नहीं भारत वर्ष का भी एक बहुत ही खुबसूरत पर्यटन स्थल है l साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी कम नहीं है l समुद्र तल से 8,960 फुट की ऊंचाई पर स्थित पराशर झील बहुत ही मनोरम स्थान है l यहाँ की नीले पानी की प्राकृतिक झील और उसमे तैरता हुआ टापू, हर पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देता है l इस तैरते हुए टापू को यहाँ टाहला कहते हैं, क्योंकि यह टापू पुरे वर्ष भर झील में एक स्थान से दुसरे किनारे तक टहलता रहता है l इस जगह पर पेड़-पौधे कहीं नजर नहीं आते, बस हरी मखमली घास के मैदान ही है, जो भारत में रहकर भी आपको विदेश की प्रकृति का नज़ारा प्रदान करते है l मगर प्रचार-प्रसार की कमी की वजह से लोग इसे अधिक नहीं जानते l पराशर लेक पहुँचने के लिए चार रास्ते है l1. मण्डी जोगिंदरनगर मार्ग पर मण्डी से 1.5 km आगे दांई ओर से जो सड़क कुल्लू को (वाया बजौरा) जाती है, उसी पर 51 km. दूर है पराशर लेक l
2. दूसरा रास्ता है पंडोह से हनोगी माता के दर्शन करते 75 km. l
3. शिमला से आनी, बन्जार होते हुए 250 km. l
4. जो लोग कुल्लू की ओर से आते हैं वह बजौरा से बागी होते हुए भी पराशर झील के दर्शन कर सकते है l
चूँकि हम कमरुनाग के दर्शन कर 12.30 बजे रोहांडा से चले थे l जय देवी, नेरचौक होते हुए 2.00 बजे हम लोग मंडी पहुँच गये थे l मगर यहाँ बहुत भयंकर जाम लगा हुआ था, जिस वजह से हम डेढ़ घंटा जाम में ही फंसे रहे l 3.30 बजे मंडी से निकल कर कटौला, कमान्द, बागी और सुहाडा होते हुए हम शाम के साढ़े पाँच बजे 26 जून 2015 दिन शुक्रवार को पराशर पहुँच पाए l सुहाडा तक सड़क पक्की है, उसके बाद कच्ची सड़क है l यहाँ हमारे साथ एक दिक्कत हो गई, पता नहीं कैसे गाड़ी गर्म हो गई और तापमान उच्च हो गया l एक जगह पानी का स्रोत देख कर पहले गाड़ी को ठण्डा किया, फिर पानी डाला तब जाकर तापमान समान्य हुआ l इस कारण 20 मिनट का समय खराब हो गया l दूसरी परेशानी तब आई जब पता चला कि रेस्ट हाउस full हो चूका है l खैर हमारे पास समय था, हम यहाँ आराम से पर्यटन कर के मंडी तक वापिस पहुँच सकते थे l
हमने पराशर लेक का बोर्ड देख कर गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी की l यहाँ की सुन्दरता जो अब तक चित्रों में ही देखते आये थे, उसे देख कर एक बार मंत्रमुग्ध से हो गये l मखमली हरी घास के मैदान और बाँई ओर धौलाधार की विस्तृत पर्वत श्रृंखला l असल नजारा आँखों से ही निहारा जा सकता है l कैमरे में सब कुछ कैद नहीं होता l झील और मन्दिर को सुरक्षित करने के लिए यहाँ काफी स्थान को जाली द्वारा सीमाबद्ध किया गया है l सामने एक काफी बड़ी पहाड़ी है l जबकि तीन तरफ घेराबन्दी किये हुए सामान्य पहाड़ियों के मध्य में स्थित है, महर्षि पराशर का मन्दिर और झील l
मंजिल का अंदाज रास्ते बता देते हैं
रेस्ट हाउस
इसे कहते हैं मंत्रमुग्ध कर देने वाले चित्र
जनश्रुति के अनुसार महर्षि पराशर ने यहाँ तपस्या की थी l 14वीं शताब्दी में मंडी के राजा बाणसेन ने यहाँ मंदिर का निर्माण करवाया l लकड़ी व् पत्थर से निर्मित यह मंदिर पैगोडा शैली में स्थापित है l इसका वास्तु निर्माण आश्चर्य जनक है l लकड़ी के खम्बों पर नकाशी की गयी है l एक तरफ पुजारी व् लोगों के ठहरने की व्यवस्था है, तो दूसरी ओर मन्दिर है l सामने सुंदर नीले पानी की झील है l झील को चारों ओर से कँटीली तार द्वारा सीमाबद्ध किया गया है, ताकि कोई भी झील में प्रवेश न कर सके l सिर्फ पुजारी या मंदिर प्रशासन के लोग ही झील में प्रवेश कर सकते हैं l और यह सही भी है वरना खजियार की तरह यहाँ भी गन्दगी का आलम हो जायेगा l मंदिर कक्ष के अन्दर पराशर ऋषि की पत्थर निर्मित मूर्ति हैl जिसे नमन करने पर पुजारी आपको आशीर्वाद स्वरूप चावल के दाने देता है l कुछ लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर यहाँ बकरे की बलि भी देते है l जो अब उच्च न्यालय के आदेश के बाद बंद हो चुकी है l साथ ही एक रथ भी है, जिसे तब इस्तेमाल किया जाता है, जब पराशर ऋषि की सवारी निकली जाती है l सबसे अचम्भित करने वाली चीज है झील में टहलता हुआ एक गोल भूखण्ड, जो बहुत ही मन्द गति से अनवरत तैरता रहता है l इस सौन्दर्य को कैद करने के लिए कैमरा हर समय व्यस्त रहता है l हम लोगों ने लगभग दो घन्टे इस जगह पर गुजारे, अब सूर्य देवता भी अपनी मंजिल की ओर अगरसर हो चुके थे l
आज का हमारा तय कार्यक्रम यहीं रुकने के था, मगर एक ही रेस्ट हाउस होने के कारण वहाँ जगह ही नहीं थी l और वहां कोई भी होटल नहीं था, बस एक मात्र PWD का रेस्ट हाउस ही है, वो पहले ही बुक हो चूका था l चूँकि मन्दिर प्रशासन की ओर से वहां ठहरने के लिए कुछ सराय भवन है, जहाँ हमारा मन रुकने का नहीं बना l तब हमने तय किया कि वापिस मण्डी चलते हैं वहीँ रुकेंगे l
जय हो पराशर ऋषि की
मगर मुझे मंडी शहर की वस्तुस्थिति के बारे में अधिक ज्ञान नहीं था तो अपने फेसबुक मित्र श्री P K Bagga जी को फोन लगाया, कि भाई अपने शहर में कही अच्छी जगह ठहरने का इंतजाम करें l बग्गा साहब ने कहा चिंता न करें, आप मंडी पहुँचो प्रबन्ध हो जाएगा l हम लोग जटीन्ग्री के आस-पास थे, और अँधेरा हो चूका था l उसी समय बग्गा जी का फोन आया, sir शहर में इस वक़्त कमरा मिलना थोडा मुश्किल काम होगा, आप ऐसा करें कि शहर से बाहर 2 km. आगे Bijni नामक जगह चले जाएँ, वहाँ एक होटल है, “park View” वहाँ कमरे मिल जायेंगे l रात के लगभग 9.00 बजे हम Hotel Park View पहंचे तो पार्किंग देख कर लगा, शायद यहाँ भी जगह न मिले l रिसेप्शन पर जा कर मालूम हुआ कि यहाँ पर तीन पार्टियों का आयोजन चल रहा है, जिस वजह से इतनी भीड़ हैl हमने एक सुइट बुक किया काफी थके होने के कारण रूम सर्विसे का ही सहारा लिया, और निद्रा रानी के आगोश में खुद का समर्पण कर दिया l
अब वापिसी
पराशर झील एक बहुत ही खुबसूरत जगह है इसका सौन्दर्य कैमरे में कैद नहीं हो सकता l pangong lake के बाद इससे बढ़िया झील मैंने नहीं देखी है l
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