23 – 24 June 2011
अमरनाथ यात्रा भाग – 4 (Amarnath Yatra-4) “श्रीनगर” (Srinagar)
जैसे जैसे हम श्रीनगर शहर की ओर बढ़ रहे थे, आवागमन और भीड़ बढती जा रही थी l सड़क के किनारे तरह-2 की दुकाने नजर आने लगी थी, जिनमे सूखे मेवे, केसर, कश्मीरी शाल, हस्तशिल्प और क्रिकेट बैट की दुकाने प्रमुख थी l बहुत सारी क्रिकेट बैट बनाने की फेक्टरीयां भी नजर आ रही थी l जब हम विश्व प्रसिद्ध डल झील पर पहुंचे तो शाम के 6.30 बज रहे थे l अब तक थकान और नींद से बुरा हाल हो चूका था, लगातार गाड़ी चलाते हए 24 घंटे हो चुके थे l डल झील से चंद कदम पीछे बाँई ओर एक पैट्रोल pump है, वहीँ हमने अपनी गाड़ियाँ रोकी और रात को ठहरने का जुगाड़ करने लगे l pump के सामने ही तीन चार होटल हैं l हम सभी 15 लोग एक होटल में प्रविष्ट हुए, वहां सिर्फ चार ही कमरे खाली थे, किराया था 400 रु एक कमरे का l मुझे तो कमरे पसंद नहीं आये मगर बाकि साथियों ने फटाफट कमरे बुक कर लिए l अब बच गये हम दोनों मियां-बीवी, पं हेम दत्त जी और उनकी पत्नी देवेन्द्र जी और उनका बेटा तथा खुशिनंदन l उसके अगले वाले होटल में दस्तक दी वह होटल भी सामान्य सा ही था l किराया 500 रु, मोल-भाव करने पर वह भी 400 रु में राजी हो गया l दो कमरे यहाँ भी बुक हो गये, एक पंडित जी के लिए और दूसरा देवेंदर और खुशिनंदन के लिए l परन्तु जिस प्रकार के कमरे थे, हमारा वहां दम घुट रहा था l कुछ और जगह कोशिश की वहां कोई कमरा खाली न था, क्योंकि एक तो पर्यटन का मौसम था, दुसरे अमरनाथ जाने वाले यात्री भी काफी संख्या में थे l दो तीन जगह कोशिश करने पर कमरा मिल ही गया, किराया था 2200 रूपये, मगर रहने लायक था l और बाकि लोगों से दूर भी नहीं था l गाड़ी parking को भी माकूल जगह थी जबकि बाकि लोगों की गाड़ियाँ सड़क किनारे ही लगानी पड़ी l कमरे ढूढ़ते हुए और सामान रखने तक बाहर अँधेरा फैलना शुरू हो गया था l एक बात जो मैं भूल गया वो है मोबाइल फोन, लखनपुर बोर्डर क्रॉस करते ही सबके फोन बंद हो चुके थे l सिर्फ मेरा BSNL “post paid” ही चल रहा था, जिस किसी को भी घर बात करनी होती थी, तो वो मुझे ढूंढ़ता हुआ आ ही जाता था l शाम के 8.00 बज चुके थे सभी साथी लोग मुझे ढूंढते हुए मेरे कमरे तक आये, क्योंकि सभी ने घर को फोन करने थे l हम सभी ने तय किया कि एक चक्कर बाजार का लगाया जाए, थोड़ा शहर की रौनक तथा शाम का डल झील का नजारा देख लिया जाए इस दौरान सब लोग अपने -2 घरों पर बात भी कर लेंगे l सड़क के बाँई तरफ विशाल डल झील है और दांई तरफ खूब भीड़ भरा श्रीनगर बाजार है l जब हम डाल झील पर पहुंचे तो वहां भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद थे l हर आने-जाने वाले पर कड़ी नजर रख रहे थे l CRPF के जवानों को देख कर याद आया, मेरा एक मित्र गोपाल भी यहाँ श्रीनगर में ही तैनात है l मैंने तुरंत ही फोन लगाया और बताया कि हम तुम्हारे ही शहर में घूम रहे हैं, ये सुनकर वह बड़ा खुश हुआ l इस वक्त वह बटवारा चौक पर onduty था, छुट्टी कर अपनी बैरक वापिस जाने की तैयारी में था l उसने कहा कि आप लोग कहाँ ठहरे हो, मैंने होटल का नाम बताया तो वह बोला, आधे घंटे में वहीं पहुँच रहा हूँ l अब हमने भी बाजार से होटल का रुख किया l हम अपने होटल की parking में पहुंचे ही थे कि एक फौजी जिप्सी वहां आकर रुकी, सबका ध्यान गाड़ी की ओर गया, गाड़ी में से गोपाल और उसके तीन चार साथी हमारी और बढे, पहले तो हम पहचान ही नहीं पाए क्योंकि गोपाल को पहली बार ही वर्दी में देखा था, बड़ी गर्मजोशी से मिलना हुआ, गोपाल की देखा- देखी उसके साथियों ने भी हमारे पैर छुए l ये सभी अलग-2 प्रदेशों के थे हमें मिल कर बहुत खुश होते हुए बोले कि पिछले चार वर्षों में पहली बार यहाँ कोई अपना मिला है l तभी गोपाल को किसी का फोन आया yes sir बोल कर फोन काटा और हमसे कहा भाई कुछ काम आ गया है, जल्दी जाना पड़ेगा l उसने हमे एक बेकरी वाले बिस्कुट का डिब्बा दिया तथा जीप में बैठकर सभी जवान वापिस चले गये l और हम अपने कमरे में आ गये l थकन बहुत थी इस लिए room service का ही सहारा लिया घर पर फोन करके अपनी खैरियत की बात कर हम 9.30 बजे नीद के आगोश में समा गये lकुछ श्रीनगर के बारे में :
5675 फूट की ऊँचाई पर बसा श्रीनगर, जम्मूकश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी है l जबकि सर्दियों में राजधानी का सारा क्रियाकलाप जम्मू से होता है l ऐसा कहा जाता है कि श्रीनगर की स्थापना आज से लगभग 2000 वर्ष पहले राजा प्रवर सेन द्वितीय ने की थी l यानि कि कोई हमारे ही खानदान का था (हम भी सेन खानदान से ही हैं l कुछ लोगों का मत है कि यह नगर मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बसाया गया है l श्री नगर की असली पहचान इसकी डल झील है l झील में बने लकड़ी के घर जिन्हें हाउस बोट कहा जाता है l इन हाउस बोट को सुंदर होटल का रूप दिया गया है l यहाँ आने वाला हर पर्यटक इसमें कम से कम एक रात जरुर गुजारना चाहता है l हमने भी तय किया कि अमरनाथ के दर्शन कर वापिसी में रात को यहीं रुकेंगे l क्योंकि यह हाउस बोट झील के बीच में बनाये गये हैं, और एक जगह पर स्थिर हैं l इस लिए यहाँ तक आने-जाने के लिए नाव का इस्तेमाल होता है, जिन्हें शिकारा कहते हैं l इन्ही नाव द्वारा झील में मछलियों का भी शिकार किया जाता होगा, शायद इसीलिए इन्हें शिकारा कहते हैं lडल झील के अलावा श्रीनगर में शालीमार बाग और निशात बाग भी पर्यटकों की पसंदीदा जगह है l इसके अलावा भी यहाँ बहुत सुंदर स्थान मौजूद हैं, जैसे गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम और कोंकरनाग l इन जगहों पर बहुत सारी फिल्मों की shootting भी हो चुकी है l इसके अलावा कुछ बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान जैसे खीर भवानी, अमरनाथ, बुढा अमरनाथ, चट्टी पातशाही, शंकराचार्य मंदिर, जामा मस्जिद, हजरतबल दरगाह, और पिछले कुछ समय चर्चा में रहने वाली चरारेशरीफ दरगाह भी है l
श्रीनगर पहुँचने के लिए हवाई मार्ग, सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग सभी तरह के साधन मौजूद है l श्रीनगर की विभिन्न शहरों से दुरी इस प्रकार है
दिल्ली से – 876 km.
चंडीगढ़ से – 630 km.
जम्मू से – 293 km.
लेह से – 434 km.
बात कुछ कश्मीर में शूट हुई फिल्मों की:
कश्मीर का एक दूसरा सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल गुलबर्ग भी है, मगर यह स्थान हमारे रूट से match नहीं करता था l इस लिए हम यहाँ नहीं जा रहे थे l इन जगहों पर अनगिनत फिल्मो की शूटिंग हुई
है, इनमे कुछ इस प्रकार है :
जंगली -1961
जैसे कश्मीर की कली - 1964
जब-जब फूल खिले – 1965
बॉबी – 1973
आप की कसम - 1974
कभी-कभी – 1976
डल झील और रंग-बिरंगे शिकारे
सेवा व् सुरक्षा में हर पल चौकन्ने CRPF जवान
विशाल झील के मध्य विचरती हुई नाव
खूबसूरती इतनी कि जी न भरे
1. अमरनाथ यात्रा भाग - 1 “Amarnath yatra part – 1”
2. अमरनाथ यात्रा भाग - 2 “ कसौली से मानेसर lake”
3.अमरनाथ यात्रा भाग-3 “मानेसर lake से श्रीनगर”
4. अमरनाथ यात्रा भाग –4 (AmarnathYatra-4) “श्रीनगर” (Srinagar)
5. अमरनाथ यात्रा – 5 “खीर भवानी” (Kheer Bhawani)
6. अमरनाथ यात्रा भाग –6 “ कंगन; गंदरबल”
7. अमरनाथ यात्रा भाग –7 (Sonamarg) “सोनमर्ग”
8. अमरनाथ यात्रा भाग -8 (Amarnath) “ दोमेल से गुफा और वापिस”
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