24 – June 2011
अमरनाथ यात्रा भाग – 7 (Sonamarg) “सोनमर्ग”
सोनमर्ग; जैसा नाम वैसा स्थान l सोन यानि कि सोना, मर्ग माने मैदान l सोने का मैदान या सुनहरा मैदान l अप्रैल का महीना ख़त्म होते-2 यहाँ की बर्फ पिघल जाती है, और छ: महीने से सुप्त वनस्पति अंकुरित होना शुरू हो जाती है l इस वनस्पति में विभिन्न प्रकार के फूल भी उग आते हैं l जब इन ओस भरे फूलों पर सुबह के समय धूप पड़ती है, तो यह सुनहरी लगते हैं l और पूरा मैदान सुनहरी चमक बिखेरने लगता है l सोनमर्ग, जम्मू-कश्मीर का बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल है l यह श्रीनगर से 80 km. की दुरी पर समुद्र तल से 9000 फुट की ऊँचाई पर स्थित है l सोनमर्ग पैदल ट्रेकिंग करने वालों के लिए base camp भी है l यहाँ से विभिन्न दर्रों (pass) के लिए लोग ट्रेकिंग करते हैं l सोनमर्ग और इसके आस-पास बहुत से टेंट लगे होते हैं, जहाँ ट्रेकिंग से सम्बन्धित सारा सामान किराये पर उपलब्ध रहता है l जो लोग ट्रेकिंग पर जाते हैं, वह इन्हीं टेंटों में रुकते हैं, और पैदल यात्रा करने के बाद वापिस यहीं आते हैं l सोनमर्ग के आस-पास काफी सारी झीलें भी हैं जिनमे प्रमुखत्या गद्सर झील, कृष्णासर झील, गंगाबल झील, सतसर झील, बालटन झील, और विशंसर झील है इन झीलों में ट्राउट मछली भी भरपूर मात्र में पाई जाती है l कुछ पर्यटक यहाँ मछली पकड़ने का लुत्फ़ भी उठाते हैं l सोनमर्ग में झीलें ही नहीं, अपितु बहुत सारे विश्वप्रसिद्ध ग्लेशियर भी हैं इनमे ‘थाजिवास ग्लेशियर’ प्रमुख है, इस ग्लेशियर से एक नदी का उदभव होता है जो आगे जाकर indus river में समा जाती है l सोनमर्ग की इसी सुन्दरता के कारण यहाँ पर हिंदी फिल्मों और सीरियल की शूटिंग भी होती रहती है lसोनमर्ग की इन खास जानकारियों के साथ ही हम भी तेज रफ्तार के साथ कंगन से सोनमर्ग की ओर अगरसर थे l जहाँ कुछ अच्छी लोकेशन दिखती गाड़ी रोक कर उसकी सुन्दरता को निहारते, तथा यथासंभव कैमरे में कैद भी कर लेते थे l जो दृश्य नजर में होता है, वह पूरा कैमरे की नजर से नहीं देख सकते, फिर भी हम हर सुंदर नजारे को कैमरे में कैद करने की कोशिश तो कर ही रहे थे l 12.00 बजे के लगभग हम सोनमर्ग पहुँच ही गये, यहाँ की खूबसूरती देख कर मन कर रहा था बस यहीं बस जाएँ, और जिन्दगी में प्रकृति का भरपूर आनन्द लें l मगर यह सम्भव नहीं है l यह नजारे देखने में जितने सुंदर है, यहाँ की जिन्दगी उतनी ही दुश्वार है l यहाँ जिन्दा रहने के लिए कड़ी मशकत करनी पड़ती है, छ: महीने दिन- दुनिया से बेखबर जिन्दगी बसती है यहाँ पर l जब हम यहाँ पहुंचे तो ज्यादा भीड़ नहीं थी l यह एक बहुत बड़ा मखमली घास का मैदान है, बाँई ओर निचे की तरफ एक नदी बह रही थी, जबकि दांई ओर ऊपर बहुत बड़ा पहाड़ है, जो देवदार और कैल के पेड़ों से भरपूर है l मैदान के बीचों-बीच श्रीनगर – लेह मार्ग गुजरता है, यहीं थोडा आगे कुछ कच्ची-पक्की दुकाने भी बनी हुई l कुछ दुकाने काफी बड़ी है, इनमे आप एक निश्चित शुल्क देकर ठहर भी सकते हैं l सड़क के दोनों और कुछ पक्के होटल बने हुए है l
इसके साथ ही कुछ आगे जाकर बहुत सारे टेंट बने हुए है, जहाँ पर्यटक हर प्रकार की सुविधाओं के साथ समय गुजार सकते हैं, ट्रेकिंग पर जा सकते हैं l दांई और काफी ऊपर जाकर तक़रीबन 4 फूट ऊँची बाउंड्री वाल बनी हुई है, जिसके बाहर बहुत से घोड़े थे, जो पर्यटकों को घुड़सवारी करवाते हैं l सरकार यह कदम बहुत बढ़िया लगा, घोड़ों के लिए एक अलग स्थान निर्धारित किया गया है, जिससे बाकि की जगह गन्दी नहीं होती l वरना आप kufri जाओ तो वहां घोड़ों की लीद की बड़ी गन्दी बदबू आती है, हालाँकि वहां भी कुछ स्थान निर्धारित है, मगर फिर भी जब बरसात होती है, तो हर जगह बदबू फ़ैल ही जाती है l
सोनमर्ग की खूबसूरती में खोये हुए कब 2 घंटे बीत गये पता ही नहीं चला l आज का हमारा तय प्रोग्राम बालटाल के दोमेल पहुँचने का था, वरना यहाँ रुकने का बड़ा मन हो रहा था l मगर जब आप एक टीम के साथ चल रहे होते हैं तो सबके साथ ही चलना पड़ता है l
2.00 बजे हम बालटाल के लिए रवाना हो गये
बर्फ और हरियाली के पहले दर्शन एक साथ
सोनमर्ग से पहले : राह ऐसी है तो मंजिल का अनुमान लग ही सकता है
निर्माण कभी रुकता नहीं है
आँचल में हरियाली और शीश पर बर्फ का ताज
प्रकृति की खूबसूरती से सबके चेहरों पे नूर है
सड़क के बाँई और रिहायश और दांई ओर घोड़े की सवारी की जाती है
बाउंड्री के उस तरफ भारतीय सेना का कैम्प
सिन्धु नदी के किनारे सैंकड़ो की संख्या में पर्यटकों के लिए टेंट
1. अमरनाथ यात्रा भाग - 1 “Amarnath yatra part – 1”
2. अमरनाथ यात्रा भाग - 2 “ कसौली से मानेसर lake”
3.अमरनाथ यात्रा भाग-3 “मानेसर lake से श्रीनगर”
4. अमरनाथ यात्रा भाग –4 (AmarnathYatra-4) “श्रीनगर” (Srinagar)
5. अमरनाथ यात्रा – 5 “खीर भवानी” (Kheer Bhawani)
6. अमरनाथ यात्रा भाग –6 “ कंगन; गंदरबल”
7. अमरनाथ यात्रा भाग –7 (Sonamarg) “सोनमर्ग”
8. अमरनाथ यात्रा भाग -8 (Amarnath) “ दोमेल से गुफा और वापिस”
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