श्रीखंड महादेव यात्र - 3 "ShriKhand Mahadev Part-3"
कुमारसेन से जाँव
कुमारसेन में लंच करने के बाद हमारा काफिला 1.30 pm बजे कूच कर गया l सारा रास्ता मेरा जाना-पहचाना था l मैं पहले भी कई बार रामपुर बुशहर आ चूका हूँ l कुमारसेन से लूहरी तक लगातार उतराई के साथ-2 बहुत सारी कैंची “hair pin bend” है l लूहरी से रामपुर तक सड़क बिलकुल समतल है, और सतलुज दरिया के साथ-2 ही विपरीत दिशा में आगे बढती है l लूहरी से आगे बिठाल, निरथ, निरसू, दतनगर, नोगली, खोपड़ी और फिर रामपुर बुशहर आता है l यहाँ पर धान की खेती होती है, जबकि इससे कुछ सौ मीटर ऊपर सेब के बगीचे अपनी सुंदर छटा बिखेरते नजर आते हैं l फर्क देखिये सतलुज के किनारे लगभग पांच सौ मीटर की ऊंचाई तक मौसम गर्म होता है, उसके बाद एक दम ठण्डा l पहाड़ों की यही विशेषताएं लोगों को आकर्षित करती है l निरथ में सूर्य नारायण का एक प्राचीन मंदिर है l लोगों में इस मंदिर की बड़ी आस्था है l हम यहाँ रुके तो नहीं बस बाहर से ही एक फोटो ली और आगे बढ़ गए l दतनगर में महिषासुरमर्दिनी का मंदिर देख कर स्वत: ही गाडी के ब्रेक लग गये l यह मंदिर बहुत ही खुबसूरत जगह पर सड़क और सतलुज दरिया के बीच में बना हुआ है l लोहे की फैंसिंग के अन्दर मंदिर के एक तरफ संकट मोचन बाला जी की एक विशाल मूर्ति है l हमने माँ महिषासुरमर्दिनी और बाला जी का आशीर्वाद लिया, तथा अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले l जितने भी लोग मेरे साथ चल रहे थे, किसी ने भी रामपुर बुशहर पहले नहीं देखा था l इस लिए हमने एक चक्कर रामपुर का लगाने का फैसला किया l क्योंकि श्रीखंड जाने के लिए Rampur से 4 km. पहले ही एक सड़क बाँई ओर से कट जाती है l हम सीधे रास्ते पर रामपुर की ओर आगे बढ़ गये l हमेशा की तरह बाजार में खूब भीड़भाड़ थी l जहाँ रामपुर बुशहर का बाजार खत्म होता है, उस जगह का नाम जगातखाना है l जगातखाना से गाड़ी वापिस मोड़ ली, हमेशा की तरह शहर में बहुत भीड़ थी l रामपुर बुशहर आजादी से पहले बुशहर रियासत की राजधानी रही है l इसका विस्तार वर्तमान के तीन जिलों कुल्लू , किन्नौर और शिमला जिला में फैला हुआ था l रामपुर आज भी दो हिस्सों में बसता है, आधा भाग सतलुज के उस पार कुल्लू में, और आधा व् मुख्य भाग इस तरफ जिला शिमला में l रामपुर से चार किलोमीटर शिमला की तरफ ‘नोगली’ नामक जगह है , जहाँ पर बायें हाथ की तरफ सतलुज पर एक पुल दिखाई देता है l हां, सतलुज सैंज से ही विपरीत दिशा में बहते हुए साथ देती है । इस पुल को पार करके 17 किलोमीटर के बाद निरमण्ड (Nirmand) आता है l यह सतलुज नदी ही शिमला और कुल्लू जिलों की सीमा रेखा (dividing line of shimla and kullu) भी है l इसलिये रामपुर तो शिमला में आता है जबकि निरमण्ड आता है कुल्लू में l अगर रामपुर बुशहर की बात की जाये तो आधा रामपुर सतलुज के उस पार जिला कुल्लू में भी बस्ता है l इस लिए कुछ लोग अपना पता लिखते हुए जिला कुल्लू का address भी लिखते हैं lकुछ जानकारी निरमंड के बारे में भी :
कहते है जब परशुराम ने अपने पिता के कहने पर अपनी माता का शीश काटा था, तो माँ रेणुका का सिर धड़ से अलग हो कर यहीं पर गिरा था l इसी कारण यहाँ का नाम नरमुंड पड़ा, जो बाद में निरमंड हो गया l पहाड़ी क्षेत्र के हिसाब से यह हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा गाँव है, और यहाँ की अधिसंख्या ब्राह्मण है l कालान्तर में जब परशुराम क्षत्रियों को परास्त कर पहाड़ों की तरफ तपस्या करने आए तो अपने साथ सैंकड़ो ब्राह्मणों को भी लाए, जो सब के सब वेदों के प्रकांड पंडित थे l इस स्थान की महिमा जानकार परशुराम जी ने यहीं तपस्या करने का विचार किया और यहीं पर अपना डेरा जमा दिया l परशुराम जी तो तपस्या पूरी होने के बाद आगे निकल गये, मगर वह ब्राह्मण सदा के लिए यहीं बस गये l रास्ते में हमें एक महिला अपनी पोती के साथ पानी ले जाते हुए मिली l पानी की टोकनी को किलटे (बांस से बना हुआ एक पिठू) में रख कर ले जाती इस खुबसूरत महिला को देख मुझे बचपन में सुना एक गाना याद आ गया ‘’लाणा पाणी रा हाला बलिए, निरमंडा रिए बामनिए” lनिरमण्ड से करीब 15 किलोमीटर आगे बागीपुल (baghipul) है l बागीपुल ऐसा गांव है जो आसपास के कई गांवों के लिये रोड जंक्शन का काम करता है l यहाँ एक छोटा सा बाजार है, जहाँ हर तरह का सामान स्थानीय लोगों की जरूरतें पूरी करता है l कुछ साल पहले तक श्री खण्ड की यात्रा बागीपुल से ही शुरू होती थी l मगर जब से प्रधान मंत्री सड़क योजना जो Atal Bihari Bajpai जी ने शुरू की, तब से हिमाचल में सड़कों का जाल सा बिछ गया है, और बागीपुल से जाँव बल्कि उससे भी काफी आगे तक सड़क बन चुकी है l
जब हम जाओं पहुंचे तो शाम के 4.30 बज चुके थे l मगर कहीं भी गाड़ी पार्क करने की जगह नहीं मिल रही थी, काफी जदोजहद के बाद एक जगह मिली l वहीँ किसी ढंग से गाड़ी लगा दी l बस डर यही था कि कोई भी अनजान ड्राइवर हमारी गाड़ी छील सकता था l भोलेनाथ का नाम लेकर गाड़ी बंद की और सब कुछ भूल कर इसे महादेव के सहारे पर छोड़ दिया l
नीरथ
महिषासुर मर्दिनी : दत्त नगर
रामपुर बुशहर
जाओं वाली सड़क से NH- 5 नजर आ रहा है
निरमंड : किल्टे में पानी का टोकण ले जाती हुई दादी-पोती के साथ हमारी टीम
जाओं से निकलते ही पहला नाला
जाओं : हर सुविधा संपन्न एक घर
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