श्रीखंड महादेव यात्रा - 5 "ShriKhand Mahadev Part-5"
सिंहगार्ड से थाचडू
15 जुलाई को जब सुबह उठे तो एक समस्या से सामना हो गया, मेरी पत्नी मधु का बुखार से बुरा हाल था l उन्हें रात को ठण्ड लग गयी थी l मगर वह हार मानने वालों में से नहीं है l भंडारे में जा कर चाय बिस्कुट खाए और ठीक 5 बजे सामान कन्धे पर लाद कर सफ़र शुरू कर दिया l आज की यात्रा में पिठू मैंने उठा लिया, क्योंकि मध् की तबियत काफी नासाज थी l और भी बहुत से लोग हमारे साथ-२ चल रहे थे l हर-हर महादेव के जयकारे लग रहे थे l जब भी कोई यात्री एक दुसरे से मिलता तो बम-बम भोले या जय भोले कह कर अभिवादन जरुर करता था l कुछ कदम चलते ही जब रास्ता देखा तो मन ही मन उस स्वयंसेवी को धन्यवाद दिया, जिसने शाम को यात्रा करने से रोका था l रास्ता था तो जरुर मगर एक गलत कदम पड़ते ही आदमी सीधा खाई में या उफनती हुई नदी में जा गिरता l और महाकाल के दर्शन करते-२ काल के भी दर्शान सम्भव हो सकते है l2 km भराटी नाला तक कुछ सीधा, परन्तु संकरा रास्ता है l भराटी नाला से लगभग 200 मीटर पहले रास्ता बहुत खतरनाक है यहाँ थोड़ी सी असावधानी जानलेवा हो सकती है l उसके बाद 6 km थाचडू तक सीधी अनवरत खड़ी चढ़ाई, जिसे डंडी धार की चढ़ाई कहते है l डंडी धार इस लिए कि अच्छे खासे पैदल चलने वाले को भी यहाँ सहारे के लिए डंडे की जरूरत पड़ जाती है l डंडे “लाठी” की जितनी जरुरत चढ़ने के लिए पड़ती है, उससे ज्यादा जरूरत उतरने में महसूस होती है l
पूरे रास्ते में कहीं हमें दस मीटर से ज्यादा समतल रास्ता नहीं मिला। पहाड का अनुभव रखने वाले लोग ऐसे रास्तों पर कभी रुकते नहीं हैं, बल्कि अपनी चलने की स्पीड कम कर लेते हैं।
पूरी श्रीखण्ड यात्रा को कठिन चढ़ाई का संग्रहालय माना जा सकता है।
भराटी नाला में शाम को एक लड़का फिसल कर तक़रीबन 100 फुट निचे जा गिरा, बहुत बुरी तरह घायल हो गया था l अभी तक उसके चेहरे से खून रिस रहा था l भोले नाथ की कृपा से जान बच गई, परन्तु वह चलने की हालत में नहीं था l यह वही लड़का था, जो शाम को हमारे साथ ही जाँव से चला था, मगर वह सिंहगार्ड में मना करने के बावजूद भी आगे के सफ़र पर अपने साथी के साथ निकल पड़ा था l हमने उस सेवादार को एक बार दिल ही दिल में फिर धन्यवाद दिया l
भराटी नाला में हमने ब्रेड पकौड़े और चाय का नाश्ता कर लिया l अब तक 7.00 बज चुके थे l बम-बम भोले का जयकारा लगा कर आगे के रास्ते पर प्रस्थान कर बढ़ चले, अपनी मंजिल की ओर l अभी हम 500 मीटर ही चले होंगे, कि देखा बहुत सारे लोग एक निजी टेंट वाले से दराट ले कर जंगल से डंडे काट कर लाठी बना रहे है l हम भी टेंट वाले के पास थोडा सुस्ताने बैठ गए l हमने आखिर पूछ ही लिया कि ये लोग लकड़ी क्यों काट रहे है l उस आदमी ने हमें बताया कि अब आगे बिलकुल खड़ी धार “पहाड़ी” है, तथा चढ़ने के लिए डंडे “लाठी” के सहारे की जरूरत पड़ती है l इसीलिए भराटी नाला से थाचडू तक के रास्ते को डंडीधार की चढ़ाई कहते है l उसने बताया, जिनके पास लाठी नहीं है, वह लाठी का इंतजाम कर रहे है l उसकी बात में कुछ वजन लगा हमने भी दो तीन डंडे काट डाले मेरे पास बड़ी वाली छतरी थी, सो मैंने लाठी की जरूरत महसूस नहीं की l जो बाद में मेरी बहुत बड़ी गलती साबित हुई, कैसे ये आगे बताऊंगा l यहीं पर हमारी मुलाकात एक और यात्री जत्थे से हो गई, ये 8-10 लोग थे, और सभी 50 साल से ऊपर के यात्री थे l कुछ लोग पांच कैलाश की यात्रा कर चुके थे l इन्ही में एक महिला भी थी, जिसे सभी कैलाशी बहन कह कर संबोधित कर रहे थे l यह महिला IGMC shimla में नर्स के रूप में कार्यरत थी l उसे देख कर मेरे मन में भी विचार उठा कि अगर भोलेनाथ की कृपा हुई तो हम भी पांच कैलाश की यात्रा जरुर पूरी करेंगे l अब हम थे, डंडे थे और डंडी धार चढाई थी l भराटी नाला से थाचडू की दुरी तक़रीबन 6 Km है, मगर है बहुत ही जानलेवा है l हमें रास्ते में जो भी मिलता हम उससे पूछते, थाचडू कितनी दूर है, जवाब मिलता बस थोडा ही है, एक डेढ़ घंटा और लगेगा l इसी तरह चलते-चलते 11 बज गए मगर थाचडू महाराज के दर्शन ही नहीं हो रहे थे l अब रास्ता कुछ आसान हो चला था निचे आने वाले किसी यात्री से पूछा तो उसने बताया बस आधा घंटा और l खैर बम-बम भोले जय भोले करते-करते आखिर 11.40 पर हम थाचडू पहुँच ही गए l ऐसा लगा मानो हमने बहुत बड़ा किला फ़तेह कर लिया हो l मगर बाद में मालूम हुआ कि ये तो बस एक नमूना था, असली परीक्षा अभी बाकी थी l यहाँ गर्म-गर्म कड़ी-चावल का लंगर चल रहा था, भूख भी बहुत जोरों से लग रही थी, तो बैग रखे किनारे पर, और टूट पड़े भंडारे पर l ज्यादा भूखे होने के कारण कुछ ज्यादा ही खा लिया था l
“श्रीखण्ड सेवा समिति पूरी यात्रा में तीन जगह- सिंहगाड, थाचडू और भीमद्वारी में निशुल्क लंगर और आवास मुहैया कराती है।“
सुबह सिंहगार्ड से निकलते ही अँधेरे में
हम दोनों
यह चित्र वाल पेपर की तरह लगता है
इसी जगह से रात को एक लड़का गिर गया था
भराटी नाला पुल
डंडीधार
कुछ भी हो जाए डंडा नहीं छूटना चाहिए
अब आया ऊंट पहाड़ के निचे
हम पांच अलग-2
वो रहा थाचडू
COMMENTS