श्रीखंड महादेव यात्रा - 7 "ShriKhand Mahadev Part-7"
कुंशाघाटी से पार्वती बाग
4.30 बजे अलार्म बजते ही उठ खड़े हुए, दांतों को ब्रश से रगडा, चाय का एक-२ कप पिया और अँधेरे में ही यात्रा चालू कर दी l आज सोमवार का दिन था, “भोले नाथ का दिन” यह हमे ओम प्रकाश जी ने ही याद दिलाया, वह ही बोले कि हम सोमवार के दिन श्रीखण्ड महादेव के दर्शन करेंगे lभीम द्वारी वाला पड़ाव रास्ते से थोड़ा हट कर है l अब वहाँ जाने का कोई ओचित्य नहीं था l तो बस हम आगे चलते ही रहे l कोई एक की.मी. आगे एक उफनता हुआ नाला मिला, जो अधिकतर ग्लेशियर से ढका हुआ था l कुछ जगहों पर बर्फ में गड्ढे पड़े हुए थे, जहाँ निचे पानी बहता हुआ नजर आ रहा था l यहाँ खुले में ही थोड़ी ओट देख कर सबसे पहले जरुरी काम निबटाया l ठन्डे पानी से धोने के बाद, अगले एक घन्टे तक हाथ लगा-लगा कर देखते रहे तशरीफ़ अपनी जगह है भी या नहीं l फिर उसी बर्फीले पानी से हाथ मुहँ धोया और आगे का रास्ता पकड़ा l जहाँ हम नाले के पास रुके थे, उससे बिल्कुल सीधा ऊपर 1 km पर पार्वती बाग है l यानी की रास्ते को नाक छूती हुई चढाई l सच मानिये इस चढाई ने सुबह-२ ही दम निकाल दिया l हम लोग 7.30 बजे पार्वती बाग़ पहुँच गये l यहाँ हमने एक निजी टेंट वाले के पास दो-२ परांठे खाए, और साथ ही रात में ठहरने के लिए टेंट भी बुक कर लिया l क्योंकि शाम के पांच बजते-२ यहाँ सभी टेंट भर चुके होते है l यहाँ पर सिर्फ निजी टेंट ही किराये पे मिलते है l यहाँ प्रशाशन की ओर से हर चीज के रेट तय है ,जैसे कि ठहरने के 300 रू, खाने के 100 रू, परांठा 50 रू, और चाय 20 रू. l मधु ने भी एक परांठा खाया, आज उसकी तबियत काफी ठीक लग रही थी l जब हम परांठे खा रहे थे तो बातों-२ में पता चला, कि यहाँ पिछली रात को एक 42 साल के आदमी की मौत हो गई है l अधिक सर्दी के कारण आक्सीजन का सिलेन्डर भी जाम हो गया, व् वक़्त पर काम नहीं कर सका l अब शव को वापिस ले जाने की कवायद चल रही है l मगर यहाँ से जांव तक शव ले जाने की कीमत 40,000 रू मांगी गयी है l यह काम ज्यदातर नेपाली गोरखा ही करते है l जांव से जितना भी सामान यहाँ विभिन्न पड़ाव तक आता है, ज्यदातर ये नेपाली ही इसे ढोने वाले होते है l पार्वती बाग़ तक LPG गैस सिलेन्डर लाने का किराया 4,000 रू होता है l यहाँ पर एक सबसे हैरान करने वाली बात पता चली कि यहाँ पर गैस लाइटर काम नहीं करते l आग जलाने के लिए सिर्फ माचिस ही काम करती है l कारण यहाँ हवा में आक्सीजन बहुत कम है l एक बात और समझ नी आई यहाँ आक्सीजन कम है, तो ये जो तेज हवाएं चल रही है, ये क्या है l ठण्ड बहुत थी, आठ दस परांठे बनाने में ही एक घन्टे से ज्यादा समय लग गया l अब तक धुप भी यहाँ तक पहुँच चुकी थी l धुप में बैठे-2 हम भी खा-पी कर फिट हो चुके थे, तो 9.00 बजे हमने यहाँ से प्रस्थान कर दिया l
पार्वती बाग:
यहां पर प्रकृति का एक ऐसा नमूना है, जिस पर से नजर हटती ही नहीं हैं। वाकई इस इलाके में प्रकृति ने अपनी छटा जबरदस्त रूप से बिखरी है lयह जगह ट्री लाइन से हजारों फीट ऊपर है, यहां सिर्फ घास ही घास मिलती है । हां, जगह काफी बड़ी है और समतल है। टैण्ट लगाने के लिये उपयुक्त है। इसके बाद श्रीखण्ड तक कहीं भी टैण्ट लगाने की कोई जगह नहीं है, इसलिये हर किसी को श्रीखण्ड के दर्शन करके कम से कम यहां तक जरूर आना होता है ।
यह जगह इस यात्रा की इतनी महत्वपूर्ण जगह है, कि दोपहर दो बजे तक ही यहां के सभी टैण्ट भर जाते हैं। ऊपर जाने वाले लोग सोचते हैं, कि शाम तक पार्वती बाग पहुंच जायेंगे, तो आगे का रास्ता कल के लिये आसान हो जायेगा l तथा निचे आने वाले 70 % लोग शाम को यहाँ तक ही पहुँच पाते हैं l 30 % लोग भीम द्वारी तक पहुँचते हैं l लेकिन शाम छह बजे के बाद आने वालों को यहां बैठने तक की जगह नहीं मिलती । सबसे बढिया तरीका यही है, कि अगर दो बजे तक भी भीमद्वारी पहुंच गये तो चुपचाप यही पर रुक लो। अगले दिन सुबह सवेरे श्रीखण्ड के लिये चल पड़ो ।
नोट: पार्वती बाग़ खाने-पीने के सामान का आखिरी पड़ाव है l इसके बाद खाने को कुछ नहीं मिलेगा, और नैन सरोवर के बाद तो पानी भी नहीं है l इसलिए आगे बढ़ने से पहले अपनी जरुरत के हिसाब से अपना इंतजाम कर ले, और तभी सफर शुरू करें l
70 साल का बुजुर्ग जोड़ा (हिम्मते मर्दा मद्ददे खुदा )
पार्वती बाग़ की चढ़ाई से पहले ग्लेशियर
दम खुश्क करने वाली पार्वती बाग़ की चढ़ाई
हमारे लिए परांठे तैयार हो रहे हैं
पार्वती बाग़ से महज 100 मीटर ऊपर
पार्वती बाग़ से नजर आता भीम द्वारी
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