श्रीखंड महादेव यात्रा - 8 "ShriKhand Mahadev Part-8"
पार्वती बाग़ से नैन सरोवर
जब हम लोग पार्वती बाग़ से जब चले थे, तो हर तरफ हरियाली थी l छोटा-२ घास, रंग-बिरंगे फुल- पत्ते, मगर 20 मिनट के बाद एक दम बड़ी-२ चट्टानों का रेगिस्तान सा नजारा सामने था l अब आगे जहाँ तक भी नजर जा रही थी, बड़ी-२ चट्टानें और ग्लेशियर ही नजर आ रहे थे l कहीं भी रास्ता नजर नहीं आ रहा था l पत्थरों पर लाल-पीले निशान लगे थे, अब आगे का सफर इन्ही निशानों के सहारे होना था l जब पिछले कल हम सिंहगार्ड से चले थे तो मधु की तबियत खराब थी l आज भी थोड़ी सुस्ती और कमजोरी महसूस हो रही थी, मगर फिर भी काफी ठीक लग था l अब यहाँ पर रास्ता कभी-कभार ही मिलता था, अधिकतर सफ़र चट्टानों को लाँघ कर पार करना पड़ रहा था l ग्लेशियर के ऊपर ज्यादा मुश्किल नहीं आती है, लोगों के चलने से रास्ता बना ही रहता है l बस थोड़ा संभल कर चलना पड़ता है, फिसलने का खतरा बना रहता है l यहाँ पर हमने देखा कुछ 10-12 साल के बच्चे और बच्चियां भी पुरे उत्साह के साथ यात्रा का आनन्द ले रहे थे l करीब 10.00 बजे हम नैन सरोवर पहुँच चुके थे l रास्ते में हमने बहुत सारी फोटो भी ली और खूब मस्ती की l पार्वती बाग से नैन सरोवर तक का सफ़र अधिक कठिन नहीं है l नैन सरोवर का दृश्य बहुत ही अद्भुत है, हर तरफ पत्थर की तरह कठोर सफेद बर्फ की चादर, जिसे ग्लेशियर कहते है l बीच में एक छोटा सा कुण्ड, जहाँ बिल्कुल निर्मल जल बह रहा है l हर तरफ इतनी बर्फ के बावजूद भी ठण्ड का नामोनिशान नहीं था l शायद चलने के कारण शरीर गर्म था और सर्दी का अनुभव नहीं कर पा रहा था l कुछ लोग यहाँ नहा भी रहे थे l बाकि सिर्फ हाथ-मुहँ धो कर ही पवित्र होने की कोशिश में थे l ओम प्रकाश जी भी नहाने की तैयारी करने लगे l दो लोग और थे, जो हमारे साथ ही पार्वती बाग़ से साथ-२ चल रहे थे, इनमे से एक श्री खंड सेवा दल का सदस्य था, और एक ITBP का जवान l जो नाम का ही जवान था, हर कहीं खरमुन्डी “पलटी” मार रहा था l अब हम पाँच की बजाय 7 लोग थे जो एक साथ चल रहे थे l ये दोनों और ओम प्रकाश जी नहाने के लिए कुण्ड में उतर गये l जल्दी से नहा कर जब वापिस आए तो इनके शारीर ठण्ड की वजह से लाल हो चुके थे l जल्दी-२ इन्होने कपड़े पहने और राहत की साँस ली l हमने भी हाथ-मुहँ धो कर अपने इरादे जाहिर कर दिए l तक़रीबन एक घंटा हम लोग नैन सरोवर में रुके, और खूब सारी फोटो खिंची lजब यहाँ से ऊपर जाने वाले लोगों पर नजर दौड़ाई तो शारीर में एक झुरझुरी सी दौड़ गई l सामने एक बहुत विशाल ग्लेशियर था, और उस पर लोग 60 डीग्री के कोण पर चढ़ते हुए नजर आ रहे थे l चढ़ाई तो डंडीधार जैसी थी, पर थी ग्लेशियर के ऊपर l खैर जब इतने लोग चढ़ रहे हैं , तो हम भी क्या कम है l पहली बार जब भी हम कभी किसी बहुत कठिन राह से गुजरते हैं, तो एक अनजाना सा डर कहीं न कहीं होता ही है l इस प्रकार का रास्ता, ऐसे ग्लेशियर, ऐसी चट्टानें, हम जिन्दगी में पहली बार ही देख रहे थे l जबकि श्री अमरनाथ यात्रा भी हम कर चुके थे, मगर वहां के ग्लेशियर और रास्ते समतल है l साथ ही उस यात्रा को सुगम बनाने के लिए वहां प्रशासन, सेना तथा बहुत सी स्वयंसेवी संस्थाएं काम करती है l जबकि श्रीखण्ड और किन्नर कैलाश में जीवट और आपके सहयात्रीयों के दम पर ही यात्रा संभव होती है l हमने अपनी पानी की बोतलें भरी, पूजा-अर्चना की, “जो मेरा सब्जेक्ट नहीं है” और कदम बढ़ा दिए उस रास्ते पर जो अब हमें मंजिल की ओर ले जाने वाला था l
नैन सरोवर के बारे में एक कहानी है l कहते है जब भस्मासुर ने शिवजी से वरदान प्राप्त कर लिया, तो वह सबसे पहले माता पार्वती के पीछे पड़ गया l उसके इस रूप से डर कर माँ पार्वती यहाँ छुप गई व् रोने लगी l माँ के नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली, उनके इन आंसुओं के कारण ही नैन सरोवर का उद्भव हुआ l सरोवर के सामने बिल्कुल ऊपर आज भी पानी की दो धाराएँ बहती हुई देखी जा सकती है, जिसे माँ पार्वती की ऑंखें कहा जाता है l यहीं एक किनारे पर कुछ पत्थर इकट्ठे कर, झंडे आदि लगा कर, कुछ लाल रंग की जरी वाली चुनरी सजा कर माता पार्वती की पूजा की जाती है l हमने देखा हर यात्री यहाँ पहुँच कर पहले माँ पार्वती को जरुर मनाता है l ऐसा हर जगह है जैसे किन्नर कैलाश और मणिमहेश में भी शिव तक पहुँचने से पहले माँ गौरा के दर्शन किए जाते हैं l
घड़ी भर के लिए दम ले लो, फोटो खींचने या खिंचवाने का एक फायदा यह भी है
ये बन्दा सुबह 4.00 बजे पार्वती बाग़ से गया था, अब वापिस आ रहा है
श्रीखण्ड नेशनल हाईवे
रास्ते की एक बानगी यह भी
श्रीखण्ड सेवादार l अब नाम याद नहीं
आ मेरे पास बैठ एक फोटो खिंचवाएं
नैन सरोवर में आराम करते यात्री
राहत की एक सांस
शिवानी और कंचन
अभी हमें भी उस चोटी पर पहुंचना है
नैन सरोवर : Closeup
आज मैं ऊपर आसमां निचे
ठण्डा-ठण्डा ,कूल-कूल, ओम प्रकाश जी
छोटे बच्चे परिवार सहित
COMMENTS