श्रीखंड महादेव यात्रा - 11 "ShriKhand Mahadev Part-11"
श्री खण्ड महादेव
श्रीखण्ड महादेव से जरा सा पहले ही करीब सौ मीटर तक बर्फ थी। और फिर, “श्रीखण्ड शिला” तक सिर्फ पत्थर ही पत्थर है l यहाँ न तो बहुत बड़ी-2 चट्टानें है, न ही बहुत छोटे-2 पत्थर l बस एक काफी बड़ा पत्थरों का पहाड़ है l जिसके शिखर पर भोलेनाथ का त्रिशूल नजर आता है l श्रीखण्ड पाषाण शिला से 50 मीटर पहले बहुत छोटा सा समतल स्थान है l श्रीखण्डं महादेव के दर्शन करने से पहले एक आखिरी गलेशियर है, जो काफी विशाल है l यहाँ हर वर्ष आने वाले लोगों का कहना है कि, 10% लोग यहाँ से आगे (150 मीटर) नहीं जा पाते है, और उन्हें यहीं से वापिस लौटना पड़ता है l आज मेरे साथ भी यही होने वाला था l इस जगह तक पहुँचते-२ मेरे शारीर में पानी की कमी हो गयी, और गला प्यास के मारे चटकने लग गया l साथ ही शूगर लेवल भी निचे चला गया l जबकि मैं यात्रा के समय मधुमेह की दवाई नहीं खाता हूँ l मुझे अपने दिल की धडकने बड़े जोर-२ से सुनाई दे रही थी l शायद साँस लेने के लिए आक्सीजन कम पड़ रही थी l किसी तरह मैंने किसी को बिना बताए गलेशियर पार कर लिया l अब बर्फ खत्म हो गई थी l यहाँ से बड़े-२ पत्थरों की सीढियाँ है, जो ऊपर की ओर जा रही है l किसी तरह मैं यहाँ तक पहुँच ही गया और ऊपर जाने वाली तीसरी सीढ़ी पर बैठ कर खुद को सम्भालने की कोशिश करने लगा l मुझे लगा मैं चेतना शून्य हो रहा हूँ, और मेरा अपने शारीर से संपर्क ख़त्म हो रहा है l मेरी चेतना तब जागी जब मधु मुझ से पूछ रही थी, “क्या हुआ जी” आप ठीक तो है l मैंने कहा मुझे पानी पीना है l मगर पानी तो ख़त्म हो गया था l क्योंकि 4 में से 3 लीटर तो मैं ही गटक चूका था l हम में से किसी के पास भी पानी नहीं था l अब मधु भी बुरी तरह घबरा गई, उसने हाथ से बर्फ को रगड़ कर एक दो ढक्कन पानी निकाला, और मुझे पिलाया l अब मैंने सर उठा कर ऊपर की ओर देखा, तो हमारे सभी साथी आखिरी सीढ़ी पर बैठे थे l शायद मधु भी वहीँ से वापिस आई थी l मैंने मधु को कहा कि आप लोग दर्शन कर लो, मैं अब आगे नहीं जा पाउँगा l ये सुन कर मधु बहुत घबरा गई, उसने सभी साथियों को कह दिया कि आप दर्शन कर लो, हम अब यहीं से वापिस जायेंगे l यह सुन कर ओम प्रकाश ने कहा कि आप थोडा आराम कर लो l हम सभी साथ ही दर्शन करेंगे, वर्ना हम भी यहीं से वापिस हो जायेंगे l इस बात से मैंने भी कुछ हिम्मत बटोरी, और रेंगता हुआ सीढ़िया चढ़ने लग पड़ा lकरीब 12 बजे धीरे-२ हम उस विशाल शीला “श्रीखण्ड महादेव” के सामने थे l महादेव के इस स्वरूप से 50 फुट पहले ही मैं एक पत्थर से टेक लगा कर बैठ गया l और जो शब्द अनायास ही मुख से निकले वो थे, (लो भई भोले नाथ कर लो अब मेरे दर्शन, आपके दर्शन तो मैं फोटो में भी कर चूका हूँ)l मैं बैठे-२ कुछ फोटो ले रहा था, कि एक आदमी के हाथ में पानी की बोतल नजर आई l मैंने आग्रह किया भाई एक घूंट पानी पिला दे, मगर उस बड़े भक्त ने साफ़ इनकार कर दिया, कि वह इसे प्रशाद के तौर पर घर ले जा रहा है l और इसे जूठा नहीं कर सकते l इतनी देर में मधु दर्शन व् आधी परिक्रमा करके भागती हुई वापिस आ गई l (शास्त्रों के अनुसार शिवजी की आधि परिक्रमा ही की जाती है) उसने मुझे दो बिल्कुल कच्चे सेब खाने को दिऐ यह सेब शायद कोई स्थानीय श्रद्धालु यहाँ भेंट चढ़ा कर गया था l हमारे पहाड़ों में ये पम्परा है जब भी कोई नई फसल तैयार होती है, तो सबसे पहले अपने इष्ट देव को भेंट दी जाती है l सेब खा कर कुछ स्फूर्ति महसूस हुई, और मैं उठ कर खड़ा हो गया l
करीब 77 फुट ऊँची उस पत्थर की शीला को प्रणाम किया, जो श्री खण्ड महादेव के नाम से सुविख्यात है l इससे कुछ पहले बराबर में दांई ओर एक तीन नोक वाली चट्टान है l जो बिल्कुल त्रिशूल की तरह दिखती है l इसे शिव-शंकर का त्रिशूल माना जाता है l इससे आगे एक घाटी के दूसरी ओर एक बहुत नुकीली पहाड़ी है, जहाँ पहुंचना असम्भव ही है कहते हैं l ये शिव जी के पुत्र कार्तिकेय है l मैं पूरी तरह तो स्वस्थ महसूस नहीं कर रहा था, मगर अब काफी ठीक लग रहा था l
श्रीखण्ड महादेव में कोई शिवलिंग या मंदिर जैसी कोई चीज नहीं है l यह हिमालय के एक शिखर पर प्राकृतिक तौर पर खड़ी एक विशाल चट्टान है l जिसके बारे में मान्यता है कि इस पर कभी भी बर्फ नहीं ठहरती l जबकि इसके आस-पास बहुत विशाल ग्लेशियर हैं l जब हम ऊपर से निचे की ओर देखते हैं तो, अनन्त गहरी खाई ही नजर आती है l इसे देख कर वैसे ही दिमाग में एक विचार आया, अगर यहाँ से कोई गिर जाए तो ? यह विचार ही रीढ़ की हड्डी में सनसनाहट पैदा कर गया l यहाँ पर तीन ही चीजे दिखती हैं
1. श्रीखण्ड महादेव l
2. बर्फ से ढकी अन्नंत गहरी खाई l
3. विशाल नीला आसमान l
वैसे तो आसमान हमेशा हम अपने सर को ऊपर उठा कर ही देखते हैं, मगर यहाँ हम नीले आकाश को खुद से भी निचे तक देख सकते हैं l
हमने जो अनुभव यहाँ महसूस किया, वह शब्दों में नहीं समेटा जा सकता l सिर्फ हमारा मन और मस्तिष्क ही उसे अनुभव कर सकते हैं l यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे हम अपनी आँखों से बहुत कुछ देख सकते हैं, मगर कैमरा में वह कैद नहीं कर सकते l
अब धीरे-2 यहाँ हवा तेज हो चली थी l बताया जाता है कि 2 बजे के बाद यहाँ बहुत तेज हवा चलती है, और कभी भी बारिश या बर्फ गिरना शुरू हो जाती है l भोलेनाथ के दर्शन कर हमारा तन व् मन तृप्त हो चूका था, अब वक्त था वापिस अपनी दुनिया की ओर प्रस्थान करने का l
“जय श्रीखण्ड महादेव”
दुर्लभ दर्शन : बादलों में बना हुआ श्रीखण्ड जैसा प्रतिक : मिलान कर के देखें
आखिरी ग्लेशियर के इस छोर से नजर आता श्रीखण्ड
पहला दर्शन त्रिशूल , फिर श्रीखण्ड महादेव
ज़ूम करके लिया गया त्रिशूल का प्रतिक
बादलों से ढका हुआ कार्तिकेय शिखर
बस 150 मीटर और
आखिरी बाधा : पत्थरों का विशाल ढेर
त्रिशूल वाली पहाड़ी से श्रीखण्ड महादेव
हर-हर महदेव के जय घोष के साथ दर्शन करें
जय श्रीखण्ड महादेव
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