श्रीखंड महादेव यात्रा - 10 "ShriKhand Mahadev Part-10"
भीम बही से श्रीखंड
सबसे अधिक ग्लेशियर नैन सरोवर से भीम बही तक ही है l उसके बाद कुछ छोटे-2 ही ग्लेशियर है , सिर्फ आखिरी वाले को छोड़ कर l श्रीखण्ड से बिल्कुल पहले वाला ग्लेशियर बहुत बड़ा है l भीम बही से आगे चट्टानें अधिक बड़ी-2 है l जब हमने यहाँ से आगे चलना शुरू किया तो वातावरण में हल्की धुन्ध आना शुरू हो गई थी l वैसे तो धुप काफी तेज थी, मगर जब सूरज धुन्ध में छुप जाता है, तो वातावरण में ठंडक हो जाती है l रास्ता तो कहीं था ही नहीं, बस बड़ी-2 चट्टानों और पत्थरों के ऊपर से ही सब लोग चल रहे थे l कुछ लोग अब निचे आते हुए भी मिल रहे थे l जब भी हम किसी से पूछते अभी और कितनी दूर है, तो हर यात्री का एक ही जवाब होता बस आधा घंटा और l मगर ये समझ नहीं आ रहा था, यहाँ का आधा घंटा कितना बड़ा होता है l चलते -2 एक जगह ऐसी भी आई कि आगे जाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था l बहुत बड़ी-2 तीन चार चट्टानें रास्ता रोके खड़ी थी, उन पर चढ़ कर पार जाना नामुमकिन था l तभी मधु को उन चट्टानों के निचे से थोड़ी सी जगह दिखी और वह उसमें से रेंग कर उस पार चली गई l दूसरी तरफ पहुँच कर वह एक बड़ी चट्टान पर चढ़ कर आवाज दे रही थी, निचे से आ जाओ सब l हम सबने भी उनका अनुसरण किया और वह बाधा पार कर ली l इसके बाद शुरू हुआ इस यात्रा का सबसे कठिन भाग l अब निचे की तरफ अनन्त खाई नजर आ रही थी l कई जगह तो बस एक पैर रखने भर की ही जगह मिलती थी, दूसरा पैर रखने के लिए चार से छ: फुट तक टांगों को फैलाना पड़ता था l यात्रा का यह भाग अक्सर चौपाया बन कर ही चढ़ना पड़ा l कहीं-2 तो लेट कर रेंगते हुए भी आगे बढ़ते रहे l ऊपर चढ़ना फिर भी आसान लग रहा था, मगर जो लोग निचे आ रहे थे, उन्हें ज्यादा मुश्किल आ रही थी l मगर हमारा पूरा ध्यान अभी ऊपर चढ़ने में लगा था l हमारे साथ-2 बहुत से और लोग भी रेंगते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे थे l मगर न तो वह आधा घंटा पूरा होने में आ रहा था, न ही श्रीखण्ड की झलक दिख रही थी l फिर बहुत ऊपर चट्टानों पर कुछ आकृतियाँ नजर आई, साथ ही आस-पास से हर-हर महादेव का उदघोष होने लगा l किसी ने बताया बस वह आखिरी चोटी है, उसके बाद श्रीखण्ड महादेव के दर्शन हो जाएंगे l मगर वहां तक पहुँचने के लिए एक छोटा सा ग्लेशियर था, और सबसे खतरनाक एक छोटा सा दर्रा l इस दर्रे को पार करने के लिए बहुत हिम्मत बटोरनी पड़ी l अब तक हमारे पास पानी भी खत्म हो चूका था l मैंने इसी ग्लेशियर से कुछ बर्फ तोड़ कर बोतल में भर ली l अब बोतल में ग्लेशियर तो था पर पानी नहीं बना l यह भोलेनाथ द्वारा प्रदत शक्ति थी, जो हम इस बाधा को भी पार कर गए l अब इसके बाद हल्की चढ़ाई वाला एक बहुत बड़ा ग्लेशियर नजर आ रहा था l उसके बाद कुछ छोटे बड़े पत्थरों का पहाड़ नुमा ढेर, उस के दांई और तीन चट्टानें ऐसे खड़ी थी जैसे त्रिशूल होता है l उससे थोडा आगे बाँई ओर नजर आ रही थी एक विशाल पाषण शीला, यही है श्रीखण्ड महादेव का प्रतिक l यहाँ पहुँच कर सबने राहत की सांस ली और कुछ देर विश्राम किया lअब मंजिल सामने दिख रही थी, बस उसे छूने भर की देर थी l मगर जो इतना आसन दिख रहा था, वह इतनी आसानी से मिला नहीं l कैसे पढ़ें अगले लेख में l
धुन्ध में आगे कुछ भी नजर नहीं आ रहा है
जब चट्टानों के निचे से दूसरी तरफ जाना पड़ा
श्रीखण्ड से नैन सरोवर का आखिरी दर्शन, इसके बाद हम दूसरी दिशा में होंगे
चट्टानों से मजबूत हौसला होता है
सिर्फ चित्र देखें और समझें
सामने दीखता श्रीखण्ड महादेव
COMMENTS