Churdhar Travel-4 चूढ़धार यात्रा भाग -4
पिछले लेख में आपने पढ़ा कि शिरगुल देवता के दर्शन कर, उनका आशीर्वाद ले कर, हमने 9.30 बजे चुढ़ेश्वर महादेव के लिए प्रस्तान कर लिया l अब आगे..............शिरगुल देवता के मंदिर से ऊपर चूढ़धार की चोटी नजर नहीं आती है, मगर मंदिर से ऊपर सिर्फ पांच मिनट चलने के बाद, सीधा ऊपर देखने पर कुछ लाल-पीले झंडे नजर आते हैं, यही है चूधेश्वर महादेव का निवास स्थान l निचे जहाँ तिराहा है, वहां से एक रास्ता शिरगुल देवता के मंदिर की ओर जाता है, दूसरा ऊपर चूढ़ेश्वर महादेव शिखर की ओर, तथा तीसरा रास्ता सीधा नौहराधार की तरफ ले जाता है l इस जगह से जब ऊपर शिखर की तरफ नजर गई तो, अनायास ही श्रीखण्ड महादेव की यादें तजा हो गई l श्रीखण्ड में जो नजारा पार्वती बाग़ के टॉप से नजर आता है, लगभग वैसा ही दृश्य यहाँ भी था l वही बड़े-बड़े पत्थर, वैसी ही चढ़ाई, बस फर्क था तो रास्ते का, यहाँ पगडंडी दिख रही थी, वहां रास्ते के नाम पर चट्टानों के ऊपर लाल-पीले निशान लगे हुए होते हैं l कुछ दूर चलने के बाद हमें वह कल वाली लडकियाँ भी मिली l इनमें से तीन तो हमारे साथ शिखर तक गई, जबकि दो Y पॉइंट से नौहराधार वाले रास्ते पर चली गई l इनमें से एक की चप्पल टूट गई थी l अब एक के साथ एक फ्री में जा रही थी, यात्रा अधूरी छोड़ कर l आज की मुलाकात में पता चला, यह सभी बहने रिकोंगपियो से थी, और यह किन्नर कैलाश यात्रा भी कर चुकी हैं l
मेरे अंदाज से निचे से ऊपर तक की चढ़ाई डेढ़ से दो km. रही होगी l जिसे हमने एक घन्टे से भी कम में तय कर लिया l ऊपर टॉप पर हवा का भी अच्छा खासा बहाव था l यहाँ पर भोलेनाथ की सीमेंट से बनी काफी बड़ी मूर्ति है l सबसे पहले यही मूर्ति ध्यान आकर्षित करती है l हम सबका ध्यान भी उसी ओर था, कि अचानक किसी ने रोका, भई निचे देख कर चलो l जब अपने पैरों की तरफ देखा, तो पाया वहां एक बहुत बड़े पत्थर पर एक शिवलिंग तराशा हुआ है, जहाँ धूप जल रहा था, तथा शिवलिंग पर बेलपत्र व् फूल चढ़े हुए थे l यहाँ का अवलोकन करने पर लगा, यह शिवलिंग काफी प्राचीन होगा l मौसम की मार का प्रभाव साफ़ नजर आता है l अब यह शिवलिंग तराशा गया है, या स्वम्भू है, इस बारे में पता नहीं चल सका l मधु ने भी धूप जला कर भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया, कुछ फोटो लिए यहाँ की यादों को संजोने के लिए l मैं, यहाँ से दूर के भी कुछ चित्र लेना चाहता था, मगर निचे की तरफ धुंध के कारण कुछ नजर ही नहीं आ रहा था l जब हम यहाँ से वापिस नौहराधार के लिए चले तो शायद 11.00 बज चुके थे l यहाँ से निचे उतरना थोड़ा मुश्किल हो रहा था, कई जगह रास्ता फिसलन भरा था l अच्छा हुआ हमने कल यह रास्ता नहीं पकड़ा, वरना हम मुश्किल में आ सकते थे, और अँधेरा होने के कारण दर्शन भी अच्छे से न कर पाते l
हम कहीं भी रास्ते भर नहीं रुके, तय यही था कि दिन का लंच नौहराधार में ही किया जाएगा, और वही किया l दिन के 2.30बजे हम सभी आठ लोग नौहराधार के एक ढाबे में खाना खाने बैठ चुके थे l अभी हम खाना खा ही रहे थे जब शानू (भांजा) के फोन जीजा जो को आने शुरू हो गए l दरअसल आज सोलन में माँ शूलिनी मेला था, और उसे वहां जाने की जल्दी थी l
3.30 बजे हम लोग नौहराधार से घर के लिए चल पड़े l शाम के 6.00 बजे हम ओछघाट पहुँच गए l यहाँ यह तय किया गया, कि हम सोलन से होकर नहीं जांएगे, क्योंकि मेला होने के कारण वहां बहुत ट्रैफिक जाम होता है l जीजा जी ने भी यही मशविरा दिया, कि वह कुमारहट्टी में गाड़ी से उतर कर, वहां से बस पकड़ कर अपने घर चम्बाघाट चले जांएगे, ऐसा ही किया गया l इधर कुमारहट्टी से हम कसौली पहुंचे और कुमारहट्टी से चम्बाघाट जीजा जी l हम लगभग साथ-साथ ही पहुंचे l
और इस प्रकार जिस चूड़ी चांदनी को बचपन से अब तक दूर से ही देखा करते थे, उस के साक्षात् दर्शन कर हम अपने आप को धन्य समझ रहे थे l
चुढ़ेश्वर महादेव की ओर पहला कदम
श्रीखण्ड के रास्ते की याद दिलाता नजारा
मधु,यशदीप, मनदीप, अमनदीप,रमेश जी
दोनों राजकुमारों के साथ मधु
भतीजों के साथ ताई
पुरातन पाषण शिवलिंग
रमेश जी, मधु, शिव नाम धारी शर्ट के साथ रोबिन
कुछ और चित्र
दर्शन के बाद प्रसन्नचित वापसी
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