Neelkanth Dham : Rath Yatra (नीलकंठ धाम : रथ यात्रा )
परिचय तथा परिस्थिति :
भारत में स्वामीनारायण मन्दिर अपनी भव्यता और शानदार रचना के लिए दुनिया भर में मशहूर है l इसमें अगर गुजरात के पोइचा में बने नीलकंठ धाम मंदिर की बात करें तो इसका आकर्षण और भव्यता तो कमाल की है l यह अद्भुत रचना गुजरात के राजपिपला में नांदोद तहसील के पोइचा में नर्मदा नदी के किनारे 105 एकड़ भूमि पर निर्मित है l सन 2013 में जबसे इसका निर्माण पूरा हुआ है, तब से ही यह लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है l जब से तो स्टेचू ऑफ़ यूनिटी बना है, तब से इसका आकर्षण और भी बढ़ गया है l क्योंकि जब वड़ोदरा से केवाड़िया की ओर जाते हैं, तो यह रास्ते में ही पड़ता है l वड़ोदरा से इसकी दुरी लगभग 65 km. है l वड़ोदरा से स्टेचू ऑफ़ यूनिटी की ओर जाते हुए एक जगह आती है “दाभोल”, यहाँ से दांयी ओर लगभग 8 km. जाने पर नर्मदा नदी और हिरेन नदी के संगम के पास ही स्थित है “नीलकंठ धाम”
नीलकंठ धाम जाने के लिए सबसे नजदीक हवाई अड्डा वड़ोदरा है, जो पोइचा से 65 km. दूर है l यहाँ से टेक्सी या बस द्वारा जा सकते हैं l नजदीकी रेलवे स्टेशन राजपिपला 12 km. है l वड़ोदरा में भी रेलवे स्टेशन हैं l जो लोग भरूच की तरफ से आते हैं, उनको 80 km. दुरी तय करनी पड़ती है lपोइचा का स्वामीनारायण मंदिर नीलकंठ महादेव को समर्पित है l इसीलिए इसका नाम नीलकंठ धाम रखा गया है l यह मंदिर वास्तु कला की एक अनूठी मिसाल है l यह पूरा क्षेत्र 7 विभागों में बंटा हुआ है l जिसमें करोड़ों की लागत से बना सहजानंद यूनिवर्स भी शामिल है l इसके साथ-साथ निम्न स्थल भी गजब के आकर्षक हैं l
- सुंदर सरोवर के बीच नीलकंठ महाराज का मंदिर l
- स्वामीनारायण भगवान की 152 फीट ऊंची विराट प्रतिमा l
- नेचरल पार्क, कलाकृति से भरे घर l
- वोटर शो, लेसर शो, डांसिंग फौवारा l
- नौका विहार द्वारा अद्भुत प्रकृति दर्शन l
- चेंज ओफ लाइफ का शो l
- अमेजिंग एक्वेरियम तथा पक्षियों का नजारा l
- सहजानंद आर्ट गैलरी l
- इंफोसिटी तथा साइंस सेन्टर l
- एम्युजमेंट पार्क l
- आनंद देता एंज्वाय पार्क l
सबसे पहले तो इसका प्रवेश द्वार ही इसकी भव्यता की कहानी बयाँ कर देता है l उसके बाद इसके अन्दर विशाल मूर्तियों और कलाकृतियों के माध्यम से दर्शाई गई पौराणिक गाथाएं, हर आने वाले को भाव-विभोर कर देती है l इसके बाद छोटे-बड़े अनगिनत फवारे और खुबसुरत उद्यान किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं l यह मंदिर वास्तु और इंजीनियरिंग कौशल की खुबसुरत रचना है l इस मंदिर का निर्माण स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट द्वारा किया गया है l इसमें बने सरोवर को जल की आपूर्ति नर्मदा नदी से की जाती है l मंदिर के अंदर 108 गौमुख बने हुए हैं, इन्हीं गौमुखों से पानी हर समय सरोवर में गिरता रहता है l शाम के समय जब यह रंग-बिरंगी रौशनी से जगमगाता है, उस समय तो ऐसा लगता है मानों हम किसी सपनों की दुनिया में विचरण कर रहे हों l
मंदिर में आरती व दर्शन समय :
प्रातः 5.25 मंगला आरती ( 15 मिनट दर्शन बंद ) “ 108 नर्मदा जल कलश पूजन “
5.45 अभिषेक पूजन विधि
6.00 अभिषेक
6.45 अभिषेक पूर्ण ( 45 मिनट दर्शन बंद )
7.30 षोडशोपचार पूजन – आरती
8.00 तुलसीदल द्वारा पूजन
9.30 संकीर्तन
10.30 कावर द्वारा राजभोग थाल
11.10 राजभोग आरती
12.15 विश्रान्ति ( तीन घंटे दर्शन बंद ) “ छुट्टी व त्यौहार के दिन खुला”
3.30 उत्थापन ( तुलसीदल से पूजन )
4.00 नौका विहार
5.00 कावर द्वारा थाल
5.30 नगर यात्रा – रथ यात्रा
6.30 सांय महाराज नी आरती (शयन आरती से पहले 25 मिनट दर्शन बंद )
9.00 बजे शयन आरती
- खास मौकों और त्योहारों पर आरती के समय में थोड़े बहुत बदलाव किए जाते हैं l
- दर्शन के अलावा यहां नेचर पार्क, एक्जीबिशन, लाइट एंड साउंड शो, टनल ऑफ यमपुरी, फ्लावर क्लॉक, ऑर्ट गैलरी और होरर हाउस जैसी बहुत सी चीजें देखने लायक है
- मंदिर परिसर में Shoping center और फूड कोर्ट भी बना हुआ है l बाहर से आने वाले लोगों के लिए यहाँ ठहरने की भी व्यवस्था है l कमरा रूम बुक करने के लिए (+91) 9925033499 नंबर पर कॉल कर सकते हैं मगर ध्यान रहे रात को 9:30 बजे मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं l
यात्रा विवरण :
स्वामीनारायण नीलकंठ धाम के बारे में आपने भाग-1 और भाग-2 में पढ़ा कि हम चंपानेर से निकल कर 4.00 बजे हम स्वामीनारायण मंदिर के शानदार गेट पर थे l गाड़ी से उतर कर जब नीलकंठ धाम के मुख्य द्वार को देखा तो इसकी भव्यता देख कर आँखे चुंधिया गई l इतनी हैरानी तो पहली बार ताज महल देख कर भी न हुई थी l जो लोग ताज महल को अजूबा मानते हैं, उन्हें इस जगह को जरूर देखना चाहिए l मंदिर के द्वार पर भगवान नटराज की विशाल मूर्ति विराजमान है। मंदिर के अंदर बड़ा सा सरोवर बना हुआ है , और इसके बीचों-बीच शिवलिंग है l इन मंदिर समूहों में 27 शालिग्राम मंदिर बने हुए है जिनमें भगवान विष्णु के अवतारों को शालिग्राम के रूप में दर्शाया गया हैlयहाँ पर हमें जो सबसे बड़ी ख़ुशी मिली, वो थी कहीं भी किसी की भी फोटो या विडियो बनाने की खुली छुट l सभी को पता है, घुमक्कड़ कहाँ खुश होता है, जहाँ उसे अपने मनपसंद दृश्यों को कैमरे में कैद करने से रोकने वाला कोई न हो l
इस भाग में हम बात करेंगे रथ यात्रा या नगर यात्रा की l जब हमने अन्दर के प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश किया तो उस समय नीलकंठ धाम के प्रांगण से कुछ सेवक मंदिर के अन्दर से भोग लगने के बाद वाला प्रसाद कन्धों पर उठाकर बाहर निकल रहे थे l इसके 10 मिनट बाद वहां पर हाथी, घोड़ा, पालकी के साथ बहुत से बच्चे और बड़े लोग रंग-बिरंगी पौशाकों में नजर आने लगे थे l हम देख रहे थे इस यात्रा में एक गाय व बछड़ा भी शामिल थे l इन्हें देख कर लग रहा था जैसे गाय ने शायद 20-25 दिन पहले ही बच्चे को जना था l सबसे पीछे एक सुनहरा रथ चल रहा था, जिसे खींचने के लिए लोगों में होड़ लगी हुई थी l हर शख्स जो वहां था, इसमें भागीदार बनना चाहता था, क्योंकि इस शानदार सुनहरी रथ के अंदर स्वामीनारायण की मूर्ति विराजमान थी l स्वामीनारायण महाराज को लोग भगवान का अवतार मान कर पूजते हैं l थोड़ी ही देर में सब कुछ संयोजित तरीके से एक तरतीब में सज चूका था l पुजारी से लेकर हर कार्यकर्ता की अलग पौशाक थी l सब कुछ बहुत सुनयोजित तरीके से हो रहा था l यह रथ यात्रा लगभग एक घंटे की होती है l यह यात्रा अंदर के प्रांगण से शुरू हो कर पुरे नीलकंठ धाम का चक्कर लगा कर वहीँ पर सम्पन्न हो जाती है जहाँ से शुरू हुई थी l जब यात्रा शुरू हुई उस वक्त सूर्य की रौशनी थी, मगर जैसे-जैसे यह आगे बढ़ती गई अँधेरा फैलना शुरू हो गया l परन्तु यात्रा पर अँधेरे का कोई असर नहीं था, क्योंकि रौशनी का भरपूर इंतजाम किया गया था l
इस रथ यात्रा का एक विडियो भी बनाने की सोच रहा हूँ l
बाकि की नगर यात्रा का आनंद चित्रों द्वारा लें
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भोग लगने के बाद बर्तन वापिस जाते हुए |
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नीलकंठ धाम की झांकी तैयार है |
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प्रमुख महन्त जी शोभायात्रा का प्रारम्भ करते हुए |
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हर चीज एकदम व्यवस्थित तरीके से |
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प्रत्येक कार्यकर्ता की कार्य के अनुसार अलग-अलग वेशभूषा |
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उपस्थित श्रद्धालु रथ खींचते हुए |
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महाराज का पुतला हाथी की सवारी करते हुए |
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महाराज जी : एकदम सजीव पुतला |
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रंग-बिरंगा कपड़े का झूमर |
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ध्वजा लेकर चलते गरुड़ जी |
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सबसे आगे रास्ता बुहारते व् शुद्ध जल का छिडकाव |
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हाथी-घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की |
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शिवाजी महाराज |
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हर किरदार चाक-चौबंद |
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गाय और बछड़ा भी शोभायात्रा में शामिल होते हुए |
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नीलकंठ धाम रथ का सामने से एक चित्र |
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मुख्य द्वार के सामने आरती की रस्म |
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सुनहरी रथ के अन्दर स्वामी जी की मूर्ति |
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शोभा यात्रा समापन की ओर |
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